सभ्य समाज में रहने लायक नहीं है विमुक्ता का हत्यारा

शिक्षक मंच द्वारा संवेदना सभा आयोजित कर हत्यारे को फांसी देने की मांग की

रतलाम । सनातन गुरु शिष्य परंपरा इस सनातन धरती की पहचान रही है गुरुओं के प्रति शिष्य का आदर और समर्पण इतिहास के कई कहानियों में प्रदर्शित है । जहां ऐसे ही अनेकों उत्कृष्ट उदाहरण मिलते हैं जब शिष्य अपने ज्ञान दाता को गुरु दक्षिणा के रूप अपना सर्वस्व निछावर कर देता है। लेकिन कलयुग के इस भीषण काल में शिष्य अपने गुरुओं को आदर और संस्कार के स्थान पर जिंदा जलाकर मृत्युदंड दे रहा है ऐसा घोर अनाचार पाखंडी पाप कर्म भारत भूमि को कलंकित करने के लिए पर्याप्त है। इंदौर में घटी प्राचार्य की हत्या से पूरा शहर पूरा मध्य प्रदेश इस घटना से क्रोधित और द्रवित है अपनी भावनाओं को संवेदनाओं के माध्यम से व्यक्त कर हत्यारे को फांसी दंड देने की मांग की जा रही ।
शिक्षक सांस्कृतिक संगठन द्वारा आयोजित संवेदना सभा में प्रसिद्ध साहित्यकार विचारक चिंतक डॉ. मुरलीधर चांदनी वाला ने कहा कि विमुक्ता एक शिक्षिका होने के साथ एक माँ भी थी। उसकी हत्या आज के युग का बड़ा पाप है। यह हमारे समाज पर लगा हुआ बड़ा भारी कलंक है, जो धोया भी नहीं जा सकता। इसके पीछे जो भी कारण रहे हों, यह तय है कि हमारी शिक्षा प्रणाली दोषी है। आजकल युवा आक्रोश तेजी से बढ़ रहा है। युवा बहुत जल्दबाजी में है, और जीवन मूल्यों से बेखबर है। मूल्य आधारित शिक्षा की ओर न अभिभावकों का ध्यान है, न सरकार का। संवेदनाएँ जब मर चुकी हों, तभी ऐसे दृश्य सामने आते हैं। विमुक्ता की मृत्यु से वे कई सवाल उठ खड़े हुए हैं, जिनका उत्तर किसी के पास नहीं। न्यायपालिका से यह उम्मीद नहीं कि वह दोषी को समय रहते मृत्युदंड की सजा सुनाए। समय बीतने के साथ इस अमानवीय घटना को लोग भुला देंगे, और फिर एक घटना सामने आ जायेगी। जब तक कठोर दंड का प्रावधान न हो, यह सिलसिला थमेगा नहीं। शहरवासियों, समाजसेवियों और राजनेताओं की चुप्पी सचमुच शर्मनाक है।
शिक्षक नरेंद्र सिंह पवार ने कहा कि आधुनिक समाज में इस तरह की घटनाएं हमें आदिम युग की ओर ले जा रही है शैक्षणिक संस्थाओं से जुड़े लोग असुरक्षित और असहाय होते जा रहे हैं।
संस्था अध्यक्ष दिनेश शर्मा ने कहा कि हम किस युग में जी रहे हैं सनातन शाश्वत गुरु शिष्य परंपरा की हत्या की जा रही है प्रेम स्नेह और विश्वास का गला घोट कर अपने चाहे अनुसार कार्य करने के लिए इस सीमा तक पहुंचना किसी भी सभ्य समाज के लिए अस्वीकार है हत्यारे का दुस्साहस समाज के लिए बड़ा भयानक संदेश है आने वाली पीढ़ी को इससे बचाना होगा तभी हमारी शैक्षणिक संस्थाओं का गौरव और उनकी मान मर्यादा है बरकरार रह पाएगी।
देवेंद्र सिंह वाघेला ने कहा कि ऐसी घटनाओं पुनरावृत्ति रोकने के लिए सामूहिक प्रयास करने होंगे समस्त शिक्षक समाज को आगे आकर हत्यारे को फांसी दिलवाने के लिए सरकार पर दबाव बनाना चाहिए।
संस्था सचिव दिलीप वर्मा ने कहा कि उक्त घटना ने पूरे समाज को डरा दिया है हत्या का स्वरूप कितना भयानक है और वह भी किसी प्रतिष्ठित प्राचार्य के साथ ऐसी घटना घटना पूरे शैक्षणिक जगत के लिए बड़ी त्रासदी है।
शिक्षिका अंजुम खान ने कहा कि ऐसे हत्यारों को फास्ट ट्रैक कोर्ट में केस चला कर तुरंत फांसी दी जानी चाहिए ताकि ऐसी घटनाएं पुन: समाज में घटित ना हो ।
ललिता कुशवाहा ने कहा कि महिलाओं के ऊपर अत्याचार की पराकाष्ठा है खासकर सेक्सी जगत में क्रियाशील महिलाओं के प्रति समाज में दूर भावनाएं बहुत फैल रही है।
शिक्षक बी.के. जोशी ने कहा कि हमारी पारंपरिक सांस्कृतिक विरासत छिन्न-भिन्न हो गई है । उक्त घटना ने हम सबकी आंखें खोल दी हम कहां खड़े हैं सभ्य समाज के प्रतिनिधि कहलाने वाले लोग शीघ्र अति शीघ्र हत्यारे को फांसी के फंदे तक पहुंचाएं तभी लोग संतुष्ट होंगे।
स्वतंत्र दशोत्तर ने कहा कि हम सब अचंभित और दुखी हैं इंदौर जैसे विकसित और साक्षर शहर में इस तरह की घटना का होना पूरे समाज के लिए शर्मनाक और जघन्य अपराध है।
श्याम सुंदर भाटी ने कहा कि उक्त घटना ने कानून और उसके रख वालों की पोल खोल दी है सरकार के साथ-साथ न्यायिक व्यवस्था को भी तुरंत ऐसे हत्यारों को शीघ्र फांसी के तख्ते पर पहुंचाने में मदद करना होगी।
वीरेंद्र कैथवास ने कहा कि यह क्या हो रहा है हमारे देश में गुरु शिष्य परंपरा जहां गुरु के प्रति इतना आदर और सम्मान सिखाती है वहां एक ऐसे सिरफिरे ने अपनी प्राचार्य को मौत के घाट उतार दिया अत्यंत शर्मनाक और पाखंडी कृत्य है । शिक्षिका विनीता ने कहा कि इस घटना ने पूरे समाज को हिला कर रख दिया है तथाकथित बुद्धिजीवियों न्यायाधीशों और सरकार के नुमाइंदों को सख्त कदम उठाने होंगे।
श्रीमती कविता सक्सेना ने कहा कि उक्त प्राचार्य की नृशंस हत्या अत्यंत शर्मनाक और कुकृत्य है हत्यारे के प्रति जरा भी नरमी नहीं होना चाहिए उसे कड़ी से कड़ी सजा मिले।
परिचर्चा में डॉक्टर सुलोचना शर्मा, प्राचार्य सुभाष कुमावत, श्री केसी ठाकुर, रमेश उपाध्याय, भारती उपाध्याय, आरती त्रिवेदी, ममता अग्रवाल, प्रवीणा दवेसर, वीणा छाजेड़, गोपाल जोशी, दशरथ जोशी, अनिल जोशी, ओपी मिश्रा, राधेश्याम तोगड़े, नरेंद्र सिंह राठौड़ आदि ने भी भाग लिया । परिचर्चा का संचालन दिलीप वर्मा तथा आभार रक्षा के कुमार ने माना।