धर्म के कार्य मे हमेशा तन,मन और धन से तैयार रहे ,बहाने नही बनाये- महासती शान्ता कुँवर

बड़ीसादड़ी.(राज) (सुनील मेहता “कान्हा”) । श्रमण संघीय उपप्रवर्तनीय महासती शान्ता कुँवर ने जैन दिवाकर प्रवचन हॉल में रविवार को आयोजित प्रवचन सभा मे फरमाया कि जब धर्म के कार्य में , दान पुण्य करने के लिए आपसे कहा जाता है तो आप सो बहाने बनाते हो । पिता से ,भाई से, मां से, पत्नी से , बेटों से सलाह ले कर ,पूछ कर बताता हूं ।
लेकिन जब होटलों में, सिनेमा में, मौज- मस्ती में , फैशन में खर्च करते हो तो किसी से भी नहीं पूछते हो। लेकिन धर्म के काम में सैकड़ों बहाने बनाते हो।
लेकिन हमें भगवान का शुक्रिया अदा करना चाहिए कि हमें मांगने वालों में नहीं देने वालों में बनाया है। इसलिए किसी भी साधर्मी की ,जरूरतमंद की तन,मन और धन से मदद करने का अवसर मिले तो हमेशा तैयार रहें, बहाने नहीं बनाएं ।
आगे कहा कि राजा श्रेणीक की छ: नारकी तो छूट गई। लेकिन पहली नारकी नहीं छुट्टी क्योंकि यह पूर्व भव में बांध रखी थी। लेकिन राजा श्रेणिक ने पहली नारकी से मुक्त होने के लिए प्रभु से बहुत विनती की । मैं आपका दास हूं ,भक्त हूं ,आपका हर कहां मानता हूं । लेकिन भक्त हो तो भी कर्मों से मुक्त तीर्थंकर प्रभु भी नहीं कर सकते हैं ।ओर ना ही कर्मो का लेखा घटा-बड़ा सकते है। इस लिए पहली नारकी में तो तुमको जाना ही पड़ेगा।
राजा श्रेणिक के बार -बार निवेदन करने पर प्रभु ने पहली नारकी से बचने के चार उपाय बताये। जिसमे नवकारसी तप करने, दासी कपिला जैसी अभवी से दान दिलाना, पुनिया श्रावक की सामायिक खरीदना ओर कालू कसाई से हिंसा रुकवाना था। लेकिन राजा श्रेणिक के प्रयास करने पर भी एक भी काम नही कर पाए ओर चारो ही काम मे असफल रहे। अर्थात विधि के विधान को कोई नही पलट सकता है जो कर्म बाधे है वो तो भुगतना ही पड़ेगा । इस लिए कर्मो को बहुत सोच समझ कर करे।
आगे कहा कि प्रभु ने यह कभी नही कहा कि प्रवचन देने वाले ही मोक्ष में जायेगे। प्रभु ने तो यह कहा कि विनय करने वाले मोक्ष में जायेगे। कितनो ने गोचरी करते करते आठ कर्मो को बाध भी लिया और कितनो ने तोड़ भी दिए।
मधुर व्यख्यानी मंगलप्रभा मसा ने भी विचार रखे।
नवकार महामंत्र का सामूहिक जाप सम्पन
प्रवचन से पूर्व सुबह 8.15 बजे से 9 .15 बजे तक नवकार महामंत्र का एवं गुरुदेव जैन दिवाकर चालीसा का सामूहिक जाप जैन दिवाकर सामायिक भवन में लाभार्थी अशोक कुमार कांठेड़ परिवार की ओर से जैन दिवाकर महिला मंडल के सानिध्य में आयोजित हुआ। जिसमे अनेक श्रावक -श्राविकाओं ने भाग लिया।
प्रभावना के लाभार्थी परिवार
विनोद कंठालिया, रतन लाल नागोरी, हेमंत मेहता एवं अशोक कांठेड़ आदि चार परिवारों द्वारा प्रभावना वितरित की गई। एवं सवाई लाल गदिया परिवार द्वारा एक घड़ी भेंट की गई।
मुम्बई से पधारे महासती शान्ता कुँवर मसा के सांसारिक भाई रतन लाल नागोरी परिवार ने भी प्रवचन एवं दर्शन लाभ लिए।
अगले चातुर्मास की विनती
महासती शान्ता कुँवर आदि ठाणा-3 का 2023 का चातुर्मास उदयपुर से बीस किलोमीटर आगे कड़िया गांव खुल गया है । इस लिए 2024 का चातुर्मास बड़ीसादड़ी में करने के लिए श्री संघ, बड़ीसादड़ी ने विनती रखी।