महिलाओं का सम्मान राष्ट्र के सम्मान और स्वाभिमान को बढ़ाता है

रतलाम । भारतीय नारी आज न केवल अपने देश में अपितु पूरी दुनिया में अपनी प्रतिभा का डंका बजा रही है राजनीति का क्षेत्र हो, सामाजिक क्षेत्र हो या खेलों की दुनिया हो सैकड़ों ऐसे नाम है जो भारत के स्वाभिमान का झंडा दुनिया में पुरुषों के बराबर लहरा रहे हैं, इसलिए भारतीय नारी का सम्मान और स्वाभिमान प्रत्येक देशवासी को अपने देश के सम्मान के साथ जोड़कर देखना चाहिए यही हमारी संस्कृति का सम्मान होगा । यही भारतीय नारी के स्वाभिमान की रक्षा का सबसे बड़ा कदम होगा ।
उक्त विचार शिक्षक सांस्कृतिक संगठन मंच द्वारा अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के परिपेक्ष में स्व. प्रेरणा तोगडे की स्मृति में भारतीय नारी भारत का स्वाभिमान विषय पर आयोजित महिला संगोष्ठी में नगर के प्रमुख समाजसेवी साहित्यकार शिक्षाविदों ने व्यक्त किए ।
पत्रकार भवन में आयोजित उक्त कार्यक्रम में शिक्षाविद पूर्व प्राचार्य श्रीमती डॉ. गीता दुबे ने कहा कि महिला सम्मान और स्वाभिमान हिंदुस्तानी संस्कृति का एक प्रमुख हिस्सा रहा है । पारिवारिक दायित्व में जहां महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण है वही प्रशासनिक और कामकाजी क्षेत्र में भी महिलाओं का योगदान महत्वपूर्ण है । अपने सम्मान स्वाभिमान के लिए महिलाओं को भी मुस्तैद रहना होगा । अपने व्यक्तित्व में विनम्रता के साथ साथ कठोरता को भी अपनाना होगा अपने स्त्रीत्व की रक्षा के लिए बिना समझौता करें, अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाना ही हमारे स्वाभिमान की जीत होगी ।
समाज सेविका श्रीमती सबा खान ने कहा कि महिलाओं के स्वाभिमान की और सम्मान की शुरुआत हमारे घर से होती है पिता भाई यदि हमें मान और सम्मान सम्मान दिलाते रहे तो समाज और देश हमें अपने आप आदर और इज्जत प्रदान करेगा । इसके लिए महिलाओं को इरादों से मजबूत होना पड़ेगा, हम चाहे जिस माहौल परवरिश में रहे हमारी अस्मिता और विचारों की दृढ़ता प्रबल होना चाहिए तब हमें कोई भी नहीं झुका सकता है । हमारी आजादी और व्यक्तित्व की सुरक्षा करना ही हमारा सबसे बड़ा मान सम्मान होगा, हमारे आचरण और संस्कार उच्चतम बनाकर रखें किसी का साहस नहीं कि हमें अपमानित कर सकें ।
प्रसिद्ध कार्यक्रम संचालिका व्याख्याता डॉ पूर्णिमा शर्मा ने कहा कि मैं सौभाग्यशाली हूं कि मेरे परिजनों ने मुझे पढ़ा लिखा कर मुझे अपनी  जिंदगी जीने का अधिकार दिया लेकिन उस आजादी की रक्षा हमें स्वयं करना होगी, हमें जागरूक रहना होगा हमारे अस्तित्व और स्वाभिमान के लिए । इसके लिए चाहे हमें समाज कुछ भी कहे घमंडी कहे या अकडू हमें इसकी परवाह नहीं। हमारा स्वाभिमान और आत्म सम्मान ही हमारे लिए सब कुछ होना चाहिए तभी हम समाज में आदर पाएंगे।
प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. मुरलीधर चांदनी वाला ने संबोधित करते हुए कहा कि नारी सिर्फ देह का प्रतिबिंब नहीं है उसकी संपूर्ण काया ब्रह्मांड का दर्शन कराती है हमें उनके प्रति श्रद्धा समर्पण और सम्मान का भाव रखना होगा तभी नारी की अस्मिता और स्वाभिमान की रक्षा हो पाएगी। भारतीय नारी ने अपने चरित्र और बलिदान से दुनिया में एक इतिहास बनाया है जो हमेशा सम्माननीय रहेगा उसे कोई हटा नहीं सकता।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ. सुलोचना शर्मा ने कहां की नारी का सम्मान संपूर्ण समाज का सम्मान है नारी का स्वाभिमान राष्ट्र का स्वाभिमान है इसलिए दोनों की स्वाभिमान के प्रति हमें सजग रहना होगा  तभी हमारी संस्कृति और संस्कार जीवित रह पाएंगे । संस्था अध्यक्ष दिनेश शर्मा ने स्वागत उद्बोधन देते हुए कहा कि नारी का सम्मान और स्वाभिमान हमारी दिनचर्या में होना चाहिए किसी भी स्थिति में हमें उनके व्यक्तित्व को और अस्तित्व को नकारने का अधिकार नहीं है । समाज निर्माण और देश निर्माण में उनकी भूमिका हम सबको स्वीकार करना होगी ।
आरंभ में अतिथियों ने मां सरस्वती एवं प्रेरणा जी के चित्र पर माल्यार्पण कर गोष्टी का शुभारंभ किया । श्रीमती आरती त्रिवेदी ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की । अतिथियों का स्वागत सचिव दिलीप वर्मा, कोषाध्यक्ष रमेश उपाध्याय, कार्यक्रम संयोजक श्री राधेश्याम तोगडे, गोपाल जोशी, कृष्ण चंद्र ठाकुर, श्यामसुंदर भाटी, भारती उपाध्याय, वीणा छाजेड़, प्रतिभा चांदनी वाला. कविता सक्सेना, रक्षा के. कुमार, नूतन मजावदिया, दशरथ जोशी, अनिल जोशी, श्रीमती सिंधु ओझा, रितु आदि ने किया ।  इस अवसर पर देवेंद्र सिंह वाघेला, ललिता कुशवाहा, अंजुम खान सहित, नगर के प्रबुद्ध नागरिक उपस्थित थे ।
कार्यक्रम में उत्कृष्ट सेवाओं के लिए श्री नरेंद्र सिंह पंवार का सम्मान किया गया । कार्यक्रम का संचालन दिनेश शर्मा तथा आभार दिलीप वर्मा ने व्यक्त किया ।