तप से तप कर ही मानव का शरीर सोने की तरह कुंदन और पवित्र बन सकता है-प्रवर्तक सुकनमुनि जी म.सा.

भीलवाड़ा (दिवाकर दीप्ति-सुनिल चपलोत) । तप ही जीवन है प्रवर्तक सुकनमुनिजी म.सा. ने अहिंसा भवन शास्त्रीनगर में शुक्रवार को नवाकर महामंत्र के जाप के दौरान धर्म चर्चा को सम्बोधित करते हुए कहां कि तप, अध्यात्म, साधना का ही नहीं, किन्तु सम्पूर्ण जीव जगत का प्राण है । तप के बिना मनुष्य जीवन जीने योग्य भी नहीं बन सकता है । तप की भट्टी में तपकर मनुष्य का शरीर रागदेवेष के बंधनो से मुक्त बनकर सोने की तरह कुंदन और पवित्र बन जाता है । डॉ. वरूण मुनि ने कहां की धर्म के प्रति अपने आपको समर्पित होने पर ही इंसान परेशानियों मुक्त हो सकता है। हरीश मुनि, अखिलेश मुनि ने महामंत्र एवं शांतिनाथ भगवान का जाप करवाया तथा तप का पच्छकाण लेने वाले श्रावक श्राविकाओं का संघ अध्यक्ष अशोक पोखरणा ने शब्दों द्वारा बहुमान किया ।