जिंदगी के प्रवाह को रोकना-पकडऩा बहुत कठिन है- मुनि पुष्पेंद्र विजय

जावरा (अभय सुराणा) । पिपली बाजार स्थित राजेन्द्र उपाश्रय में प्रवचन देते हुए सूरी ऋषभ कृपा प्राप्त मुनिराज पुष्पेंद्र विजय जी मसा ने धर्मोपदेश देते हुए कहा कि एक बार नदी के प्रवाह को रोकना सम्भव है,एक बार सिंह और हाथी को पकडऩा संभव है, लेकिन जिंदगी के प्रवाह को रोकना-पकडऩा बहुत कठिन है। देवताओ को बड़ी-बड़ी, हस्तियों को बांधने की ताकत रखने वाला रावण भी राम के एक तीर से मर जाता है, इंद्र देवेंद्र जिनकी पूजा करते है ऐसे महावीर भी दो मिनिट का आयुष नही बढ़ा सकें तो हमारी तुम्हारी की कोई ताकत नही। इसलिए में कहता हूं माल (सामान) के चक्कर में नही, माला (साधना) में रहने का प्रयास करो। कल की,पल की खबर नही ओर वस्तुओं को ,पदार्थ को एकत्रित करते जा रहे है।
आगे मुनि श्री जनकचंद्र विजय जी म सा ने कहा कि कोई भी व्यक्ति जब प्रगति के मार्ग पर आरूढ़ होता है तो जलेशि के क रण अपने खुद के भी लोग गिराते है। यानी अपने ही अपनो को गिराते है। चातुर्मास के प्रथम तप के रूप में श्री शंखेश्वर पाश्र्वनाथ भगवान का अठ्ठम तप, तपस्वियों का साधन युक्त निर्विघ्नता से पूर्ण हुआ। तपस्या की इस कढ़ी में बाल मुनि जिनभद्र विजय जी मसा के चोविहार,मौन तेला चल रहा है।तपस्वियों को पारणे का लाभ सुशीला बाई कोमलसिंह जी श्रीमाल परिवार ने लिया है। उक्त जानकारी चातुर्मास व्यवस्था समिति के जितेंद्र गोखरू एवं सुभाष डूंगरवाल ने दी ।