श्री धर्मदास जैन मित्र मंडल स्थानक में प्रवचन- तीर्थंकर के गुणों को आत्मसात करने की सीख देकर प्रवर्तकश्री ने किया विहार

रतलाम,30 अप्रैल। श्रमण संघीय प्रवर्तक श्री प्रकाश मुनिजी मसा ने तीर्थकर के गुणों को आत्मसात करने की सीख देकर नोलाईपुरा स्थित श्री धर्मदास जैन मित्र मंडल स्थानक से विहार किया। 1 मई को प्रवर्तकश्री सागोद रोड स्थित श्री सौभाग्य तीर्थ परिसर से तेजानगर जाएंगे। 2 मई को रामबाग स्थित तेजपाल गादिया के यहां प्रवास के दौरान सुबह 9 बजे प्रवचन होंगे।
श्री धर्मदास जैन मित्र मंडल स्थानक में रविवार को विहार से पहले प्रवर्तकश्री ने कहा कि कई लोग पापकार्न की तरह होते है, जो जरा सी आंच लगते ही उछलने-कूदने लगते है। जबकि हर व्यक्ति शांति के लिए घर बसाता है। शांति के लिए धेर्य आवश्यक है। गंभीरता दिखाना पडती है, जो मन दिखा पाता। जैसे दूध में जामन मिलाया जाता है, तो दही जमता है और फिर मक्खन-घी निकलता है, वैसे ही मन में धेर्य और गंभीरता आएंगे, तो शांति मिलेगी। उन्होंने महिलाओं से पुरूषों से दैनिक जीवन शांतिपूर्वक व्यवहार का आव्हान किया, ताकि हर घर में शांति बने रहे।
प्रवर्तकश्री ने कहा कि तीर्थंकर महान गुणों से युक्त रहते है, वे हर कार्य में गंभीर आचरण दिखाते है। उत्तेजित करने वाली बातों को भी पी जाते है। उनके भीतर शांति सहज भाव से रहती है। यदि हमे शांति प्राप्त करना है, तो उनके गुणों को आत्मसात करना होगा। प्रवचन के दौरान पंडित रत्न श्री महेन्द्र मुनिजी मसा, श्री दर्शनमुनिजी मसा, श्री अभिनंदन मुनि जी मसा और महासती श्री चंदनबाला जी मसा, श्री रमणीक कुंवर रंजन जी मसा, श्री कल्पनाश्रीजी मसा, श्री चंदना जी मसा, श्री लाभोदया जी मसा, श्री जिज्ञासा जी मसा आदि ठाणा उपस्थित रहे। इस मौके पर वर्धमान तप कर रही 14 वर्षीय तपस्वी विधि-विनोद पितलिया का बहुमान किया गया। श्री धर्मदास मित्र मंडल ट्रस्ट के पूर्व अध्यक्ष सुरेन्द्र गादिया ने वर्षीतप पारणा महोत्सव में निश्रा प्रदान करने एवं शहर में धर्म गंगा बहाने पर प्रवर्तकश्री को सबकी तरफ से धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन संदीप चौरडिया ने किया।