हरियाली अमावस्‍या पर जिले में एक दिन में एक साथ 2100 त्रिवेणी लगायी गयी

गुना | हरियाली अमावस्या पर आज गुना जिला प्रकृति और पर्यावरण के संरक्षण हेतु जिला प्रशासन द्वारा कलेक्टर श्री कुमार पुरूषोत्‍तम एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत गुना के मार्गदर्शन में एक ही दिन निर्धारित समय (प्रातः 10:00 बजे से 1:00 बजे तक) पर एक साथ 2100 त्रिवेणी लगाई गई। जिसमें में बरगद, नीम, पीपल के पौधे त्रिभुज आकार में एवं कदम एवं गूलर साथ में इस तरह से 11,000 पौधे लगाये गये। जहां बरगद का वृक्ष शताब्दियों तक शीतलता एवं छाया प्रदान करता है तथा ग्रंथों में बरगद की छाल में विष्णु जड़ मैं ब्रह्मा और शाखाओं में भगवान शिव के बास का उल्लेख है। साथ ही इसकी छाल और पत्तों में औषधीय गुण रहते हैं तथा यह वृक्ष अकाल में भी हरा भरा रहता है। वही पीपल विषैली कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है और हर समय प्राणवायु प्रदान करता है जिस कारण पूजा जाता है। नीम औषधीय गुणों से भरपूर होने के कारण त्वचा, पेट, आंखों और विषाणु जनित रोगों के लिए लाभदायक एवं एंटीबायोटिक होता है। गूलर एवं कदम धार्मिक और पर्यावरण महत्त्व के पौधे है इन 2100 त्रिवेणी को 11000 पौधों के साथ ही साथ 51000 अन्य पौधे जैसे कि इमली, कैथा, आंवला, बेल, सहजन, अमरूद, देसी आम गुलमोहर, जामुन, नीम, नींबू सतपर्णी आदि के रोपित किए गये।
इस आशय की जानकारी में मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत गुना श्री निलेश परीख द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार जनपद पंचायत आरोन में श्री प्रमोद कुमार सिंह मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत आरोन द्वारा 1500 पौधों को रोपण कराया गया। मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत बमोरी श्री संजीत श्रीवास्तव द्वारा 1625, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत चांचौड़ा श्री हरिनारायण शर्मा द्वारा 2650, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत गुना श्री राकेश शर्मा द्वारा 2600 तथा मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत राघौगढ़ श्री जितेन्द्र धाकरे द्वारा जनपद पंचायत क्षेत्रान्तर्गत ग्राम पंचायतों में 2700 पौधों का रोपण कराया गया। इस प्रकार जिले की पांचों जनपद पंचायत अन्तर्गत 11075 पौधों का रोपण किया गया, जो कि लक्ष्य 11000 से अधिक है।
पौधरोपण के पूर्व के अनुभवों को देखते हुए यह प्रयास किया जा रहा है कि उक्त पौधों के रोपण के साथ-साथ इनके पोषण एवं सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा जाए। इस हेतु पूर्व से तैयारी की जा चुकी हैं। जिसमें पेड़ के बढ़वार के आधार पर उनके लिए अनुसंशित आकार के गड्ढे खोदे जा चुके हैं तथा वृक्षों की बड़वार सुनिश्चित करने हेतु केंचुए की खाद, पौधों को पोषक तत्व के लिए एनपीके खाद, एवं कीट बीमारियों से सुरक्षा के लिए फोरेट का प्रयोग किया जा रहा है तथा जानवर आदि से सुरक्षा हेतु ग्रामीणों एवं जनप्रतिनिधियों को प्रोत्साहित कर ट्री-गॉर्ड और सुरक्षित स्थानों जैसे पंचायत भवन, सामुदायिक भवन, तालाब के किनारे, स्वास्थ्य केंद्र, धार्मिक स्थल, विद्यालय, उपासना स्थल आदि पर त्रिवेणी का रोपण किया गया। वही अन्य 51000 पौधो का ग्रामीणों के निजी खेत पर रोपण किया गया। साथ ही साथ ग्रामीण युवा, स्वयं सहायता समूह की दिदिया एवं परिवार के सदस्य, पंचायतों के प्रतिनिधि आदि को पौधों की सुरक्षा हेतु पौधों को गोद लेकर उनके नाम की पट्टिका लगवा कर उनके देखभाल का दायित्व सौंपा गया। कार्य को सफल बनाने हेतु टेक्नोलॉजी का प्रयोग करते हुए प्रत्येक गड्ढे एवं पौधरोपण स्थल की इंफ्रामेपिंग ऐप के माध्यम से इनके विकसित होने की निगरानी की जा रही है ।