संस्कृति के अभाव में तीन लोक की संपत्ति भी आध्यात्मिक संस्कारों का निर्माण नहीं कर सकती – राष्ट्रसंत कमल मुनि कमलेश

जावरा (हाटपिपलिया अष्टपद तीर्थ 13 मई 2023) । आध्यात्मिक प्राचीन संस्कृति को सुरक्षित रखना पुष्पित पल्लवित करना ही धर्म गुरु और परमात्मा की पूजा करने से बढ़कर है। उक्त विचार राष्ट्रसंत कमल मुनि कमलेश ने अष्टापद तीर्थ पर संबोधित करते कहा कि विश्व की सबसे प्राचीन भारतीय संस्कृति है जो आध्यात्मिक ज्ञान के सहारे निर्मित हुई है इसी मार्ग पर चलकर सच्ची सुख शांति आध्यात्मिक समृद्धि प्राप्त कर सकते हैं।
मुनि कमलेश ने कहा कि संस्कृति के अभाव में तीन लोक की संपत्ति भी आध्यात्मिक संस्कारों का निर्माण नहीं कर सकती।
उन्होंने कहा कि आज का विज्ञान आध्यात्मिक संस्कृति का लोहा मान रहा है उसी के आधार पर नई नई खोज कर रहा है जो विज्ञान की कसौटी पर शत प्रतिशत खरी उतर रही है।
राष्ट्रसंत ने बताया कि भौतिकवाद की चकाचौंध में भी हम जैसे त्यागी तपस्वी संतों का निर्माण संस्कृति के द्वारा हो रहा है यह किसी चमत्कार से कम नहीं है।
जैन संत ने बताया कि सभी धर्म स्थल आध्यात्मिक शिक्षा को रिसर्च सेंटर स्थापित करकेविज्ञानिक ढंग से पर्यावरण अहिंसा नशा मुक्ति मेडिटेशन की सुरक्षा के लिए प्रचार प्रसार के लिए प्रस्तुत किया जाए तभी मानवता बच पाएगी इसी के सहारे विश्व गुरु बनने का सौभाग्य भी इसी संस्कृति के कारण मिला है।
राष्ट्र संत कमलमुनि, तपस्वी घनश्याम मुनि, कवि रत्न अक्षत मुनिसेवाभावी कौशल मुनि ने गौशाला का अवलोकन किया 14 मई को प्रातः 8:30 जैन स्थानक ताल में प्रवचन का आयोजन किया जा रहा है वहां से महिदपुर पधारने की संभावना है।