जोधपुर। पाश्चात्य संस्कृति का अंधानुकरण हमारे पर्यावरण, स्वास्थ्य और आर्थिक ताके साथ-साथ आध्यात्मिक संस्कृति पर अत्यंत घातक हमला है जो संस्कार संस्कृति सभ्यता और चरित्र निर्माण के लिए आतंकवाद से भी अनंत ज्यादा खतरनाक है उक्त विचार राष्ट्र संत कमलमुनि कमलेश ने आचार्य सम्राट आनंद ऋषि एवं उपाध्याय केवल मुनि की जयंती पर महावीर भवन नेहरू पार्क में विचार व्यक्त करते हुए कहा कि पाश्चात्य संस्कृति से गले तक डूबे हुए आध्यात्मिकता की दुहाई दे रहे हैं यह कितना हास्यास्पद है।
उन्होंने कहा कि हमारे दैनिक जीवन शैली विलासिता और भौतिकवाद की चकाचौंध से ओतप्रोत होने के कारण पाश्चात्य संस्कृति ने रोगों को बढ़ावा दिया सच्ची शांति भंग हो गई मृग तृष्णा की भांति भटक रहे हैं । राष्ट्रसंत ने स्पष्ट कहा कि ऋषि मुनियों के आध्यात्मिक ज्ञान के सहारे भारतीय संस्कृति पल्लवित और पुष्पित हुई है इसी आध्यात्मिक शक्ति के कारण हिंदुस्तान को विश्व गुरु का सौभाग्य मिला है आज का विज्ञान और डॉक्टर भी योग मौन ध्यान और सादगी में जीवन जीने की आध्यात्मिक संस्कृति की प्रेरणा दे रहे हैं । जैन संत ने कहा कि आध्यात्मिक भारतीय जीवन शैली पूरे विश्व में लोकप्रिय हो रही है दुर्भाग्य है जो वह थूक रहे हैं हम उसे चाट कर गौरवान्वित महसूस हो रहे हैं । मुनि कमलेश ने कहा कि भारतीय संस्कृति में रोगों से मुक्ति दिलाने की क्षमता है स्थाई शांति प्रदान करता है 21वीं सदी में हम जैसे संतों का निर्माण भी आध्यात्मिक संस्कृति की देन है संस्कृति से प्यार करना ही धर्म से प्यार करने के समान है और संस्कृति के साथ सौतेला व्यवहार करना अपने हाथों अपने महापुरुषों का अपमान करने के समान है कौशल मुनि जी ने मंगलाचरण किया अक्षत मुनि जी ने विचार व्यक्त किए आईएंबिल दिवस के रूप में मनाया गया तपस्वी भेरूलाल के आज 17 उपवास है आगे बढऩे के भाव है मुनि कमलेश से पचकान लेते हुए।