जोधपुर । धर्म साधना में लीन आत्मा पर भी यदि उन्माद सवार हो जाता है तो उसकी आत्मा के पतन साक्षात परमात्मा भी नहीं रोक सकते उक्त विचार राष्ट्र संत कमलमुनि कमलेश ने महावीर भवन नेहरू पार्क में विचार व्यक्त करते कहा कि उन्माद यह पागलपन है ज्ञान लुप्त हो जाता है विवेक की ज्योती समाप्त हो जाती है उन्होंने बताया कि उन्माद मैं धर्मांध होकर क्रूर बन जाता है हित अहित को भूल जाता है उन्माद पापो की जननी है ऐसी आत्मा को धर्म में प्रवेश नहीं हो सकता । मुनि कमलेश ने कहा कि नास्तिक में उन्माद आए तो खुद का नुकसान करता है और धार्मिक आत्मा में उन्माद का भूत सवार होता है उसका खामियाजा पूरी कौम और देश और विश्व को को भोगना पड़ता है हिरोशिमा इसका साक्षात उदाहरण है उन्माद और धार्मिकता में ३६ का आंकड़ा है राष्ट्रसंत दुख के साथ कहा कि जिसके लिए उन्माद आता है उसका नुकसान हो या ना हो लेकिन खुद के सद्गुण नष्ट हो जाते हैं उन्माद ही शैतान है विश्व के किसी धर्म मैं उन्माद को स्थान नहीं है। जैन संत ने कहा कि शराब के नशे से भी उन्माद का नशा परमाणु बम से भी अत्यंत खतरनाक होता है सद्भाव का विनाश शरीर रोगों का घर तथा आत्मा को दुर्गति प्रदान करता है अक्षत मुनि ने विचार व्यक्त किए कौशल मुनि ने मंगलाचरण धर्म चंद जैन ने गुरु भक्ति का भजन प्रस्तुत किया।