साधना के क्षेत्र में हम भिखारी, पर भावना के क्षेत्र में अमीर बने – आचार्य श्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी म.सा.

रतलाम, 21 जुलाई। जगत में कुछ भी स्थायी नहीं है। जो आया है वह जाएगा। जो पाया है वह खोयेगा। जिनका साथ मिला है वह छूटेगा। यदि इस सच्चाई को जान लिया तो जीवन में कभी दुख नहीं होगा। यह उद्गार आचार्य श्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी म.सा ने सैलाना वालों की हवेली मोहन टॉकीज में प्रवचन के दौरान व्यक्त किए।
आचार्य श्री ने कहा कि वस्तु हो या व्यक्ति परिवर्तनशील है, वह बदल जाएगा या उसका स्वभाव बदल जाएगा। सुख हो या दुख यहीं सोचना कि आज जो आया है, वह चला जाएगा। बुरे दिन चल रहे है तो अच्छे भी आएंगे। दुनिया कहती है जो किया वह तुम्हारा लेकिन प्रभु कहते है, जो सोचा वह भी तुम्हारा। साधना के क्षेत्र में हम भिखारी है लेकिन भावना के क्षेत्र में तो अमीर बने। हम भले ही संयम में रहने की साधना न कर सके लेकिन भावना तो होना ही चाहिए।
आचार्य श्री ने कहा कि प्रभु से हमें प्रार्थना करना चाहिए कि इस जन्म में भले हमे चारित्र न मिले लेकिन आने वाले जन्म में तो मिले। सिद्धी ही साधना का आधार बन सकती है, लेकिन साधना, भावना से ही होगी। तुमने जो किया वह अपना हो गया लेकिन प्रभु कहते है कि जो सोचा वह भी तुम्हारा है। यह ठीक उस प्रकार है जैसे कि भले ही तुमने अपराध नहीं किया लेकिन तुमने उसके बारे में यदि सोचा भी है तो वह अपराध है।
23 जुलाई को दूसरा युवा शिविर
सैलाना वालों की हवेली मोहन टॉकीज में आचार्य श्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी म.सा. की निश्रा में 23 जुलाई, रविवार को दूसरा युवा शिविर ” हेवेन इज हियर ” विषय पर होगा। श्री देवसूर तपागच्छ चारथुई जैन श्रीसंघ गुजराती उपाश्रय, श्री ऋषभदेवजी केशरीमलजी जैन श्वेताम्बर तीर्थ पेढ़ी द्वारा अधिक से अधिक संख्या में युवाओं को सहभागिता करने का आव्हान किया है। शिविर के लाभार्थी विधायक चेतन्य काष्यप एवं परिवार रहेगा।