- धर्म के साथ जोड़ने वाले के उपकार का बदला चुकाना नामुमकिन
- आदिनाथ सोसायटी पारख धर्मसभा मण्डप में चातुर्मासिक नियमित प्रवचनमाला
पूना, 21 जुलाई (निलेश कांठेड़) । हमारे महान आचार्यो ने जिनवाणी को सुरक्षित रखने के लिए वीर प्रभु के निर्वाण के 980 वर्षो के बाद उसे आगम के रूप में लिपिबद्ध कर हमे दिया। यदि उनकी ऐसी दूरदृष्टि नहीं होती तो आज जिस रूप में जिनवाणी हमारे पास है उतनी विशाल नहीं होती। वो ही कौम व समाज जिंदा व जागृत रहती है जिसके पास अपना साहित्य व वाणी होती है। जिसके पास नहीं होता वह संस्कारों में पिछड़ता चला जाता है। हमे सोचना होगा हम जिनवाणी को सुरक्षित रखने के लिए क्या कर रहे है। ये विचार पुण्यनगरी पूना के आदिनाथ सोसायटी जैन स्थानक भवन ट्रस्ट के तत्वावधान में पारख धर्मसभा मण्डप में शुक्रवार को श्रमणसंघीय सलाहकार सुमतिप्रकाश म.सा. के सुशिष्य आगमज्ञाता प्रज्ञामहर्षि श्री डॉ. समकितमुनिजी म.सा. ने प्रवचनमाला ‘कहानी द्रोपदी की, कहानी कर्म की’ के तहत व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि आज आपके पास सब कुछ है पर संस्कारों में पिछड़ते जा रहे है वैसे-वैसे अपनो से भी बिछुड़ते जा रहे है। हर श्रावक-श्राविका को जिनवाणी के साथ जुड़ उसे जन-जन तक पहुंचाना है ओर जो अब तक इससे दूर है उन्हें भी इससे जोड़ना है। उनकी रग-रग में अहिंसा का समावेश हो जाए इसके लिए कार्य करना है। मुनिश्री ने कहा कि पत्नी पति के धर्म का आधार है उनकी प्रेरणा से जिनवाणी व धर्म से जुड़ने वाले कई व्यक्ति है। धर्म के साथ जोड़ना ऐसा उपकार है जिसका बदला चुकाना नामुमकिन है ओर इससे कभी उऋण नहीं हो सकते है। धर्म के साथ जोड़ने वाला गुरू होता है चाहे वह रिश्ते में हमारा कोई भी परिजन या मित्र ही क्यों न हो। हम सभी को अपने मित्रों व आमजन को धर्म से जोड़ने का कार्य करना है। धर्मसभा के शुरू में गायनकुशल जयवंतमुनिजी म.सा. ने भजन ‘तपस्वी को करते है देव वंदन, तपस्या से कटते है कर्मो के बंधन’ की प्रस्तुति दी। धर्मसभा में पूज्य प्रेरणाकुशल श्री भवान्तमुनिजी म.सा.,सरलमना श्री विजयमुनिजी म.सा.,सेवाभावी श्री भूषणमुनिजी म.सा. का भी सानिध्य प्राप्त हुआ। धर्मसभा में पूना के विभिन्न क्षेत्रों से आए हजारों श्रावक-श्राविकाएं मौजूद थे। धर्मसभा का संचालन एवं अतिथियों का स्वागत आदिनाथ स्थानकवासी जैन भवन ट्रस्ट पूना के अध्यक्ष सचिन रमेशचन्द्र टाटीया ने किया। चातुर्मासिक प्रवचन प्रतिदिन सुबह 8.45 से 9.45 बजे तक हो रहे है। चातुर्मास के तहत आत्मकल्याण के लक्ष्य से सर्वोतभद्र चौमुखी जाप आयोजन भी प्रतिदिन रात 8.30 से 9.30 बजे तक हो रहा है।
उठ जाग मेरे चैतन्य प्रभु तो अजर-अमर अविनाशी है
धर्मसभा में प्रज्ञामहर्षि डॉ. समकितमुनिजी ने दुनिया छोड़ कर जा रहे शरीर से मोह नहीं रखने की प्रेरणा देते राजस्थान शिरोमणी महासाध्वी यशकंवरजी म.सा. की सुशिष्या साध्वी सिद्धकंवरजी म.सा. द्वारा रचित गीत ‘‘उठ जाग मेरे चैतन्य प्रभु तु अजर अमर अविनाशी है, मृत्यु का भय क्यों खाता है तू शाश्वत घर का वासी है’ गाया तो माहौल भावनापूर्ण हो गया। उन्होंने कहा कि ये आत्मा को छू लेने वाला ऐसा गीत है जो जीवन के यर्थाथ को बयां कर देता है। रोने से जाने वाला कभी नहीं रूक सकता, कभी भी जाने वाले के प्रति में दुर्भावना नहीं रखे। उन्होंने मदनरेखा का उदाहरण देते हुए कहा कि ऐसी धर्मसहायिका हो जो पति को देवता बना दे। बहुत बार हमारा मोह जाने वाले की गति बिगाड़ देता है। परिवार का एक सदस्य भी समझदार हो हो जाने वाले जीव को साता पहुंचा सकते है।
सबकी जिंदगी में एक लाइफ कोच जरूर होना चाहिए
समकितमुनिजी ने कहा कि हमारे कठिन समय में जो हमे संभाल सके ओर हमारी तकनीक, धारणा व सोच गलत हो तो उसे सही कर सके इसके लिए सबके जीवन में एक लाइफ कोच जरूर होना चाहिए। इसके लिए उसे चुने जो कठिन पलों में डगमगाते कदम, बिगड़ते कदम व जुबां को संभाल सके। यह लाइफ कोच आपका हितेषी, परिजन या गुरूजन कोई भी हो सकता है। उन्होंने कहा कि ये माना रास्ता कांटो से भरा है पर कदम संभाल कर रखना थोड़े ही मना है। लाइफ कोच ही बता सकते है कि कांटों भरी राह पर समझदारी से कदम कैसे रखने चाहिए।
भावा के साथ तपस्वी अनुमोदना सप्ताह का आगाज
पूज्य समकितमुनिजी म.सा. का चातुर्मास शुरू होने के बाद 18 दिवसीय पुण्यकलश आराधना करने वाले, अठाई या उससे बड़ी तपस्या करने वाले एवं सामूहिक 1008 तेला तप करने वाले सभी तपस्वियों का आदिनाथ श्रीसंघ के तत्वावधान में सम्मान के लिए तपस्वी अनुमोदना सप्ताह का आगाज शुक्रवार को भावा (चौबीसी) के साथ हो गया। दोपहर में सदाबहार ग्रुप की ओर से आयोजित ‘भावा’ में श्राविकाओं ने तपस्वियों की अनुमोदना की। इसी तरह शनिवार 22 जुलाई को नियमित प्रवचन के बाद बच्चों के द्वारा तपस्वियों की अनुमोदना में भावा (चौबीसी) का आयोजन होगा। आयोजन के तहत श्रीसंघ द्वारा 23 जुलाई को तपस्वियों को मेहंदी लगाने की रस्म होंगी। तपस्वियों का सामूहिक वरघोड़ा (शोभायात्रा) 24 जुलाई को सुबह 7.30 बजे पारख भवन से शुरू होकर आदिनाथ स्थानक भवन पहुचेंगा। महोत्सव का समापन 25 जुलाई को पुण्य कलश आराधना की पूर्णाहुति (पचक्खावनी) के साथ होगा। चातुर्मास में 26 जुलाई को 23वें तीर्थंकर श्री पार्श्वनाथ भगवान का मोक्ष (निर्वाण) कल्याणक दिवस मनाया जाएगा। निर्वाण कल्याणक दिवस के उपलक्ष्य में 24 से 26 जुलाई तक पार्श्व प्रभु जीवन चरित्र कथा होगी।
ओपन बुक एग्जाम का परिणाम एवं नई पुस्तक का विमोचन रविवार को
समकित के संग समकित की यात्रा के तहत प्रकाशित पिछली पुस्तक ‘‘सीक्रेट ऑफ वैलनेस’’ के आधार पर आयोजित ओपन बुक एग्जाम का परिणाम रविवार 23 जुलाई को चातुर्मासिक प्रवचन के दौरान पूज्य समकितमुनिजी म.सा. के सानिध्य में घोषित किया जाएगा। इस अवसर पर आगामी ओपन बुक एग्जाम की पुस्तक ‘‘आओ साथ चलें’’ (केशी- गौतम संवाद) भाग प्रथम का विमोचन भी होगा। इस ओपन बुक एग्जाम का समन्वय चित्तौड़गढ़ की जैन दिवाकर महिला परिषद ने किया था। इसमें पूरे देश से करीब ढाई हजार अभ्यर्थी शामिल हुए थे। आगामी ओपन बुक एग्जाम के लिए अब तक करीब 2500 श्रावक-श्राविकाएं अपनी प्रति आरक्षित करा चुके है। ये प्रति 31 जुलाई के बाद उनको भिजवाई जाएगी। समकितमुनिजी म.सा. ने बताया कि अब तक हिंदी में ही प्रकाशित होने वाला समकित साहित्य भविष्य में अनुवादित होकर अंग्रेजी, गुजराती आदि भाषाओं में भी उपलब्ध हो ऐसी भावना है।