डॉक्टर सैनिक और वैज्ञानिक कि भाति कठोर परिश्रम करने वाला ही सच्चा धार्मिक है – राष्ट्रसंत कमलमुनि कमलेश

जोधपुर । यदि विज्ञान जगत भगवान के भरोसे रहकर सोच लेता उनकी आज्ञा के बिना पत्ता नहीं हिलता है और हाथ पर हाथ देख कर बैठ जाता तो क्या इतना विकास संभव हो सकता था । उक्त विचार राष्ट्र संत कमलमुनि कमलेश ने पर्यूषण पर्व के छठे दिन महावीर भवन नेहरू पार्क में विचार व्यक्त करते कहा कि आध्यात्मिक जनता भगवान की दुहाई देकर कहती है उनकी आज्ञा के बिना पत्ता भी हिलता है और अकर्मण्य वादी बनकर अपने भविष्य को अंधकार में धकेल रहे हैं ।
उन्होंने स्पष्ट कहा कि जितने भी महापुरुष हुए हैं उन्होंने कठिन परिश्रम और अदम्य साहस के साथ स्वयं के बलबूते पर मंजिल प्राप्त की है । मुनि कमलेश ने कहा कि हौसला इतना बुलंद करो खुदा खुद पूछे तेरी रजा क्या है कर्मयोगी कृष्ण ने निष्काम भाव से कर्म करने का उपदेश दिया । राष्ट्रसंत ने बताया कि रामायण में साफ लिखा है विश्व प्रधान कर्म करि राखा भगवान महावीर ने कहा है एक पल का भी प्रमाण मत करो । जैन संत ने कहा कि हमारा दुर्भाग्य है दाने दाने पर लिखा है खाने वाले का नाम, अजगर करे न चाकरी पंछी करे न काम कहावत ने इंसान को आलसी बना दिया डॉक्टर, सैनिक और वैज्ञानिक कि भाति कठोर परिश्रम करने वाला ही सच्चा धार्मिक है कौशल मुनि जी ने मंगलाचरण किया अक्षत मुनि ने विचार व्यक्त किए ।