रचनाशील समाज को गढ़ने का प्रयास हो रहा है सार्थक

‘सुनें सुनाएं’ के बारहवें सोपान पर बारह प्रिय रचनाएं सुनाई गई

रतलाम। ‘सुनें सुनाएं’ आयोजन ने शहर की रचनात्मक गतिविधियों में वृद्धि की है। साथ ही ऐसे लोगों को जोड़ने का प्रयास किया है जो सृजन के प्रति अपना रुझान रखते हैं, लेकिन किसी मंच पर उपस्थित नहीं हो सके थे । पिछले 1 वर्ष के दौरान 1000 से अधिक लोग इस आयोजन से जुड़े और 100 से अधिक लोगों ने अपने प्रिय रचनाकारों की रचनाओं का पाठ किया । अपनी रचना नहीं पढ़कर अपने किसी प्रिय रचनाकार की रचना पढ़ने का यह आयोजन शहर में सभी को भा रहा है।अब शहर का सृजनात्मक माहौल मन में एक ऐसी अलख जगाता है जो सदैव एक नई प्रेरणा देती है। उक्त विचार ‘सुनें सुनाएं’ के बारहवां सोपान में उभर कर सामने आए। जी.डी. अंकलेसरिया रोटरी हॉल पर आयोजित कार्यक्रम में बारह सुधिजनों ने अपने प्रिय रचनाकारों की रचनाओं को प्रस्तुत कर इस अवसर को यादगार बनाया ।
प्रस्तुति ने किया प्रभावित
‘सुनें सुनाएं’ में बारह रचनाप्रेमी साथियों ने अपनी प्रस्तुति से प्रभावित किया।
इस अवसर को यादगार बनाने के लिए बारह सुधिजनों ने अपने प्रिय रचनाकारों की रचनाओं से इसे परिपूर्ण किया। आयोजन में हरिशंकर भटनागर ने डॉ. कुंवर बैचेन की रचना ‘ बदरी बाबुल के अंगना जइयो ‘ , सान्त्वना शुक्ला ने डॉ. हरिवंशराय ‘बच्चन’ की कविता “जो बीत गई सो बात गई ” का पाठ, कमलेश बैरागी ने अज्ञात रचनाकार की मालवी कविता ‘मुं थने वणई दूं रंगरूट’ का पाठ, श्रीमती नूतन मजावदिया द्वारा डॉ. मुरलीधर चांदनीवाला की कविता “प्रतीक्षा में है प्रिया तुम्हारी” का पाठ, अनिता दासानी ‘अदा’ द्वारा श्री कृष्ण बिहारी ‘नूर’ की ग़ज़ल “ज़िन्दगी से बड़ी सज़ा ही नहीं” का पाठ, संजय कोटिया द्वारा गुलज़ार की रचना ‘किताबें झाँकती हैं बंद आलमारी’ का पाठ, जी.के. शर्मा द्वारा श्री दुष्यंत कुमार की रचना ‘ साये में धूप ‘ का पाठ, डॉ. प्रदीप कोठारी द्वारा शबीना अदीब की रचना ‘ख़मोश लब हैं, झुकी हैं पलकें ‘ का पाठ, अशोक तिवारी द्वारा गोपाल दास ‘नीरज’ की रचना “जितना कम सामान रहेगा “ का पाठ, दिनेश बारोठ ‘दिनेश’ द्वारा नक़्श लायलपुरी की रचना ‘ मेरी तलाश छोड़ दें,तू मुझको पा चुका ‘ का पाठ, प्रतीक दलाल द्वारा भवानी प्रसाद मिश्र की रचना ‘ सतपुड़ा के घने जंगल ‘ का पाठ, राधेश्याम शर्मा द्वारा जैन संत चंद्रप्रभ जी का भाव गीत ‘ अंतस के आकाश में चुप बैठा वह कौन’ का पाठ किया गया।
इनकी रचनात्मक मौजूदगी रही
आयोजन को रचनात्मक उपस्थिति से डा. मुरलीधर चांदनीवाला, कैलाश व्यास, अशोक तांतेड़, यूसुफ जावेदी, डॉ. दीप व्यास,जी.के.शर्मा, नरेंद्र सिंह डोडिया, ओमप्रकाश ओझा, यशपाल व्यास, राकेश वोरा, संजय जोशी , सांत्वना शुक्ला, राजेश कुमार द्विवेदी , नीता गुप्ता, सरिता दशोत्तर, संध्या पाठक, किशोर पाठक, राधेश्याम शर्मा , आई. एल. पुरोहित, राकेश पोरवाल, दुष्यंत कुमार व्यास, ओमप्रकाश मिश्र,नीरज कुमार शुक्ला, पद्माकर पागे,अशोक तिवारी, दिनेश बारोठ, अलक्षेन्द्र व्यास, विभा राठौड़, रुपेश राठौड़, विनोद झालानी, संजय परसाई ‘सरल’, ललित चौरड़िया , भावेश ताटके, नरेन्द्र सिंह पंवार, श्रीमती आशा श्रीवास्तव, प्रकाश सेठिया, सुरेश चौधरी, रीता दीक्षित, कविता व्यास , प्रतिभा चांदनीवाला, मंजू सेठिया,रजनी व्यास, अनीता दासानी, हर्षा कोटिया, मयूर व्यास, नूतन मजावदिया, सुशीला कोठारी, डॉ. नरेंद्र कुमार गुप्ता, इष्ट दशोत्तर,डॉ. गोविंद प्रसाद डबकरा, स्वतंत्र श्रोत्रिय, जी.एस.खींची, महावीर वर्मा ,आशीष दशोत्तर एवं सुधिजनों ने सार्थक बनाया।