रतलाम जिले सहित म.प्र. की समस्त कृषि उपज मंडी के अनाज व्यापारी हड़ताल पर
रतलाम । कृषि मंडी में व्यापारियों ने लाखों रुपए के डिपॉजिट देकर गोदाम लिज पर थे,जिस समय डिपॉजिट दिया उस समय की उतनी राशि में एकड़ मे जमीन आ जाती थी मगर 2009 में नया अधिनियम बनने से उनके गोदाम का लीज नवीनीकरण नहीं हो पाया।
व्यापारी अपना सर्वस्व शासन को देता है,लाइसेंस के लिए शुल्क, डिपॉजिट,फिर गोदाम के लिए भी शासन को पैसा,फिर माल खरीदते ही मंडी शुल्क एवं निराश्रित फीस,फिर माल को बेचते समय जीएसटी और अंत में आयकर विभाग को इनकम टैक्स। मंडी टैक्स अन्य राज्यों की तुलना में अधिक होने से व्यापारी परेशान होते है भ्रष्टाचार बढ़ता है एवं किसानों को उपज का भाव कम मिलता मगर सरकार केवल इसपर आश्वासन ही देती आई है।
उक्त जानकारी एक संयुक्त प्रेस वक्तव्य में सुरेंद्र चत्तर अध्यक्ष दी ग्रैन एण्ड सिड्स मर्चेंटस एसोसिएशन और दिलीप मेहता जिलाध्यक्ष सकल अनाज दलहन तिलहन व्यापारी महासंघ ने दी।
आपने बताया की एक तरफ वर्षा के अभाव में किसानों को फसल सूख रही है और दूसरी तरफ व्यापारी भी शासन को नीतियों से परेशान है। कई जींस पर तो मंडी टैक्स के साथ निराश्रित शुल्क एवं जीएसटी भी लगाया जाता है ऐसे में इतनी तरह के टैक्स न केवल खाद्य पदार्थों की कीमत में बढ़ोतरी करते है अपितु व्यापारियों पर भी अत्यधिक बोझ बनते है। व्यापारी शासन से किसी भी प्रकार की सहायता नहीं लेता है अपितु शासन की मुख्य आय का स्त्रोत एवं कर संग्राहक ही व्यापारी होता है। एक तरफ शासन लोगो को मुफ्त में पट्टे,घर आदि देता है मगर उन शासन की योजनाओं का पैसा जिस व्यापारी से आता है उनके गोदाम की लीज नवीनीकरण के बारे में वह व्यापारी ही परेशान होता है।
रतलाम जिले के करीब 1100 व्यापारी के हड़ताल पर जाने से प्रतिदिन करीब 10 करोड का मण्डी का व्यापार बन्द होने से किसान, मजदूर, हम्माल आदि सहित अंचल का अन्य व्यापार भी प्रभावित हूआ है।