आचार्य श्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी म.सा. की निश्रा में मंगलवार से पर्यूषण महापर्व की आराधना

रतलाम, 11 सितंबर 2023। आचार्य श्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी म.सा. की निश्रा में पर्यूषण महापर्व की शुरुआत मंगलवार से हो रही हैं। आठ दिनों तक चलने वाले इस महापर्व को लेकर धर्मावलंबी उत्साहित है। पर्व के दौरान हर दिन प्रभु की विशेष आराधना और प्रवचन होंगे। श्री देवसूर तपागच्छ चारथुई जैन श्रीसंघ गुजराती उपाश्रय, श्री ऋषभदेवजी केशरीमलजी जैन श्वेताम्बर तीर्थ पेढ़ी द्वारा भव्य तैयारी की गई है।
पर्यूषण पर्व के प्रथम दिन मंगलवार को सुबह 9 से 11 बजे तक लव एवरीवन विषय पर प्रवचन होंगे। 13 सितंबर को हेल्प एवरीवन विषय पर एवं 14 सितंबर को बैर की बिदाई, प्यार से सगाई विषय पर प्रवचन होंगे। 15 सितंबर को सुबह 8.30 बजे श्री कल्पसूत्र ग्रंथ का वाचन होगा, विषय आचारो प्रथमो धर्म रहेगा। दोपहर 2.30 से 4.30 बजे तक यात्रा प्रारंभ से अंत तक विषय पर प्रवचन होंगे। 16 सितंबर को सुबह 8.30 बजे आनंद की घडी आई रे विषय पर प्रवचन, 10 बजे 14 स्वप्नदर्शन की बोलियां 11.30 बजे साधार्मिक वात्सल्य एवं दोपहर 1 बजे श्री महावीर जन्म वाचन होगा। 17 सितंबर को सुबह 8.30 बजे संघर्ष-साधना-सिद्धी विषय पर प्रवचन एवं दोपहर 2.30 बजे गणधरवाद विषय पर प्रवचन होंगे। 18 सितंबर को सुबह 8.30 बजे मन मोहन जिनवर भेटीअे रे विषय पर प्रवचन एवं बारसा सूत्र बहोराने की बोलियां तथा दोपहर 2.30 बजे जिनशासन के उजयाले सितारे कार्यक्रम होगा। पर्यूषण पर्व के अंतिम दिन 19 सितंबर को सुबह 8 बजे श्री बारसा सूत्र ग्रंथ वाचन एवं दोपहर 3 बजे संवत्सरी प्रतिक्रमण होंगे। श्री संघ द्वारा पर्यूषण पूर्णाहुति पर 24 सितंबर को सेठजी का बाजार से सुबह 8.30 बजे भव्य रथ यात्रा निकाली जाएगी। सुबह 11 बजे स्वामी वात्सल्य का आयोजन किया जाएगा।
तन छोटा, धन थोड़ा और मन बड़ा रखो-आचार्यश्री
सैलाना वालों की हवेली मोहन टाॅकीज में सोमवार को आचार्यश्री ने छोटा कौन और बड़ा कौन विषय पर प्रवचन देते हुए कहा कि जो व्यक्ति मन से छोटा होता है, वह छोटा और जो मन से बड़ा होता है, वहीं वास्तविकता में बड़ा होता है। मनुष्य जीवन में हमे तन को छोटा, धन को थोड़ा और मन को बड़ा रखना चाहिए। तन छोटा होगा तो चलेगा, धन थोड़ा होगा तो भी चलेगा लेकिन मन छोटा होगा तो नहीं चलेगा।
आचार्य श्री ने कहा कि दही को जमाने के लिए जामण थोड़ा डालते है, सब्जी में नमक थोड़ा डालते है, दूध से शकर कम डालते है तब ही इनका स्वाद आता हैं। ऐसे ही तन और धन थोड़ा होगा तो काम चल जाएगा। पैसा आया तो पाप भी अधिक होगा। मन बडा होना जरूरी है। क्योंकि सूर्य इसलिए प्रसन्न है, क्योकि वह प्रकाश देता है। पेड़ फल देता है, आप भी कुछ न कुछ देते जाओं तो खुशी मिलेगी।
आचार्य श्री ने कहा कि क्रोध का कोई भी भाव मन में पैदा मत होने दो। चाय कप में गरम लगती है लेकिन प्लेट में ठंडी हो जाती हैं। हमारा मन कप जैसा छोटा है, उसे प्लेट जैसा चैड़ा बनाओं। कैंसर की गांठ इस जन्म में खत्म हो जाती है लेकिन क्रोध की गांठ जन्म-जन्म तक रहती है। घर बड़ा होता है तो हम साथ में नहीं रह सकते है लेकिन मन बड़ा हो तो छोटे घर में भी सब साथ रह सकते है। प्रवचन में बडी संख्या में श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित रहे।