सैलाना वालों की हवेली मोहन टाकीज में प्रवचन
रतलाम, 27 सितंबर 2023। धर्म हर व्यक्ति अलग-अलग प्रकार से करता है। कोई लोभ से तो कोई लज्जा, ईर्ष्या , स्नेह, हट, डर से करता है, लेकिन किसी भी माध्यम से किया गया धर्म कभी बेकार नहीं जाता है। उसका फल अवश्य मिलता है।
यह बात आचार्य श्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी म.सा. के शिष्य मुनिराज ज्ञानबोधी विजयजी म.सा. ने सैलाना वालों की हवेली मोहन टाकीज में प्रवचन के दौरान कही। मुनिराज ने धर्म करने के कारणों का उल्लेख करते हुए कहा कि स्थिति-परिस्थिति चाहे जैसी भी हो, धर्म अवश्य करना चाहिए। प्रभु की भक्ति करने से हर काम होता है। दुनिया में सब पर भरोसा करना लेकिन कर्म पर कभी मत करना। धर्म करने के लिए कई बार हमारा मन नहीं होता, लेकिन कभी शर्म से करते है तो कभी स्नेह के कारण तो कभी भय के कारण यह करना पड़ता है।
उन्होंने कहा कि कारण चाहे जो हो, लेकिन किए गए धर्म और आराधना का पुण्य मिलता ही है। धर्म करने के पीछे कई बार मनुष्य का अपना लोभ भी कारण होता है लेकिन उससे संबंधित की प्रवृत्ति में सुधार आता है। धर्म करने की शास्त्रों में विधि बताई गई है लेकिन यदि किसी व्यक्ति को इसका ज्ञान नहीं है और वह अपने तरीके से प्रभु की भक्ति के मार्ग पर आगे बढ़कर उनकी आराधना करता है तो भी उसे उसका लाभ मिलता है।
मुनिराज ने कहा कि कई बार धर्म करने के पीछे कोई मजबूरी होती है, हमारी इच्छा नहीं होने पर भी जलन, ईर्ष्या के भाव से हमें वह करना पड़ता है तब भी उस धर्म का लाभ मिलता है। प्रवचन के दौरान श्री देवसूर तपागच्छ चारथुई जैन श्रीसंघ गुजराती उपाश्रय, श्री ऋषभदेवजी केशरीमलजी जैन श्वेताम्बर तीर्थ पेढ़ी के पदाधिकारी एवं बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित रहे।