रतलाम । भारतीय खेल इतिहास के भीष्म पितामह खेल सम्राट हाकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद हॉकी के सिर्फ खिलाड़ी नहीं थे अब एक अद्भुत किवदंती के रूप में पूरी दुनिया में जाने जाते थे उन्होंने अपने खेल कौशल से भारत को हॉकी का सिरमौर बनाया था अपितु विश्व खेल जगत में अपनी ईमानदारी निष्ठा और परिश्रम से अपने व्यक्तित्व को स्थापित किया था ।
हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले भारत को तीन-तीन ओलंपिक स्वर्ण पदक दिलवाने में अपना योगदान प्रदान करने वाले मेजर ध्यानचंद का जन्म दिवस राष्ट्रीय खेल दिवस के अवसर पर शिक्षक सांस्कृतिक संगठन द्वारा उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न दिए जाने की पुरजोर वकालत करते हुए खेल एवं शिक्षा जगत के महानुभावों की परिचर्चा आयोजित की अधिकांश वक्ताओं ने उन्हें शीघ्र अति शीघ्र भारत रत्न दिए जाने की मांग की ।
विषय प्रवर्तन प्रस्तुत करते हुए संस्था अध्यक्ष दिनेश शर्मा ने उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए भारतीय खेल इतिहास के अद्भुत पुरोधा निरूपित किया । श्री शर्मा ने कहा कि जिस प्रकार फुटबॉल में महान खिलाड़ी पेले क्रिकेट में डॉन ब्रैडमैन का स्थान है उसी प्रकार हॉकी जगत में मेजर ध्यानचंद की जगह पूरे विश्व में बनी हुई है उन्हें जीवित रहते ही यह पुरस्कार भारत रत्न मिलना था खैर देर आए दुरुस्त आए उन्हें भारत रत्न देकर समूचे खेल जगत को गौरवान्वित करना चाहिए। क्रीड़ा भारती के जिला अध्यक्ष वरिष्ठ क्रीडा प्रशिक्षक डॉक्टर गोपाल मजावदिया ने कहा कि मेजर ध्यानचंद हॉकी के जादूगर ही नहीं वह राष्ट्रभक्ति और देशभक्ति के भी जादूगर थे उन्होंने हॉकी के माध्यम से देशभक्ति की मशाल जलाई उन्हें शत-शत नमन करते हुए भारत रत्न देने की गुजारिश करता हूं । आशुतोष क्रिकेट क्लब के संस्थापक श्री ललित मोयल ने कहा कि खेलों के प्रति सरकार सदैव उदासीन रही है और खिलाडिय़ों की तो हमेशा उपेक्षा होती रही है मेजर ध्यानचंद को भारत रत्न देखकर समूचे खेल जगत को सम्मानित करना चाहिए। क्रीड़ा भारती के सचिव अनुज शर्मा ने कहा कि खेल जगत और खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद को भीष्म पितामह की तरफ पूजते हैं उनका सम्मान सारे खेल जगत और खिलाडिय़ों का सम्मान होगा ।
वरिष्ठ साहित्यकार चिंतक डॉ मुरलीधर चांदनी वाला ने मेजर ध्यानचंद के बारे में कहा कि उन्होंने खेल के साथ साथ राष्ट्रभक्ति भी स्थापित की उनकी देशभक्ति के कारण ही भारत तीन तीन बार ओलंपिक विजेता बना बहुत ही परिश्रमी देशभक्त खिलाड़ी थे हॉकी उनका जीवन था और भारतीयता उनकी नस-नस में विद्यमान थी अपनी देशभक्ति के कारण भी हिटलर जैसे क्रूर शासक से भी आंख में आंख मिलाकर बात करते थे यह उनके अद्भुत साहस का प्रतीक था ध्यानचंद जैसा खिलाड़ी दोबारा कभी पैदा नहीं हुआ उन्हें शीघ्र भारत रत्न मिलना चाहिए । खेल चेतना मेले के सचिव श्री मुकेश जैन ने कहा कि देश को आजाद होते ही मेजर ध्यानचंद को भारत रत्न देकर सम्मानित करना था जिसके वे हकदार थे उन्होंने भारत को पूरे विश्व में हाथी के माध्यम से गौरव दिलाया प्रतिष्ठा दिलवाई एक खिलाड़ी होकर भी उन्होंने अपने राष्ट्र के प्रति सदैव समर्पण और निष्ठा व्यक्त करें यह उनके जैसे खिलाड़ी ही कर सकते हैं भारतीय हॉकी में उनका योगदान राष्ट्र कभी नहीं भूल सकता उन्हें शीघ्र भारत रत्न देना चाहिए ।
पूर्व पार्षद तथा जिला बॉडी बिल्डिंग एसोसिएशन के चेयरपर्सन निमिष व्यास ने कहा कि मेजर ध्यानचंद करोड़ों खिलाडियों के आदर्श हैं उनका मान सम्मान और गौरव समूचे खेल जगत का गौरव है । वरिष्ठ अभिभाषक खेल चेतना मेला रेल संयोजक सुनील जैन ने कहा कि ध्यानचंद जीने भारत में खेलों को प्राणवायु प्रदान की थी खेलों के प्रति विशेषकर हाकी में उन्होंने जो योगदान दिया है व हिंदुस्तान कभी नहीं भूल सकता । वरिष्ठ सेवानिवृत्त शिक्षक चंद्रकांत वायगावकर ने कहा कि पिछले 70 सालों से यह मांग होती आ रही है लेकिन वर्तमान सरकार से अधिक आशा है कि वह ध्यानचंद जी को मरणोपरांत यह गौरव प्रदान करेंगे । खेल अनुदेशक चंद्रशेखर लश्कर ई ने कहा कि यह तो बहुत पहले हो जाना था मेजर ध्यानचंद भारतीयों के रग रग में बसे हुए हैं प्रत्येक भारतवासी के मन में उनके लिए अपार श्रद्धा और आदर है उनका सम्मान पूरे हिंदुस्तान का सम्मान होगा ।
पूर्व अध्यक्ष राधेश्याम तोगडे ने कहा कि वैसे भी हमारे देश में खेलों की स्थिति खस्ताहाल है ओलंपिक में हम इक्के दुक्के मेडल लेकर आते हैं सिर्फ हाकी और कुश्ती नहीं हमारी लाज बचा कर रखी मेजर ध्यानचंद को भारत रत्न देखकर हाकी का मान बढ़ा ना हो चाहिए । सचिव दिलीप वर्मा ने कहा कि देश पिछले 70 साल से प्रतीक्षा कर रहा है कि मेजर ध्यानचंद को उनका वाजिब सम्मान प्रदान करेगा लेकिन अभी तक निराशा ही हाथ आइए । शिक्षक देवेंद्र वाघेला ने कहा कि मेजर ध्यानचंद सा खिलाड़ी ना कभी हुआ है ना कभी होगा उन्होंने जो उपलब्धियां प्राप्त की थी पूरे विश्व में किसी भी खिलाड़ी को नहीं मिली होगी उन्होंने पूरे देश का मान सम्मान और गौरव दुनिया में बढ़ाया था । भारती उपाध्याय ने कहा कि मेजर ध्यानचंद को भारत रत्न देखकर समूचा देश गौरवान्वित महसूस करेगा सबकी दिल की भावना है क्यों नहीं है गौरव मिलना चाहिए । शिक्षिका आजम खान ने कहा कि हम उनका नाम सुनकर बड़े हुए हैं ऐसे गौरवशाली खिलाड़ी को अभी तक भारत रत्न ना मिलना दुर्भाग्यपूर्ण है । पूर्व प्राचार्य गोपाल जोशी ने कहा कि भारतीय जनमानस मेजर ध्यानचंद का सदैव ऋणी रहेगा उन्होंने खेलों के साथ-साथ देश भक्ति में भी अपना नाम पूरे विश्व में स्थापित किया था ऐसे बहुत कम खिलाड़ी होते हैं जो इतनी गौरवशाली उपलब्धियां अपने देश के लिए अर्जित करते हो । शिक्षक रमेश चंद्र परमार ने कहा कि एक ऐसा खिलाड़ी जिसने भारत को हॉकी में सिरमौर बनाया उसका मान और सम्मान भारत रत्न प्रदान कर और बढ़ाना चाहिए । रमेश उपाध्याय ने कहा कि देश के खिलाडिय़ों के साथ-साथ आम नागरिक भी उनके योगदान को नहीं भूल सकते समूचे देश की भावना है कि उन्हें भारत रत्न मिलना चाहिए । कृष्ण चंद्र ठाकुर ने कहा कि वैसे तो अन्य खेलों में भारत में आजादी के बाद उपलब्धियां हासिल की है लेकिन गुलामी के दौर में भी भारत को खेलों से पहचान दिलाने में मेजर ध्यानचंद का योगदान महत्वपूर्ण रहा है उन्हें शीघ्र ही यह सम्मान मिलना चाहिए। दशरथ जोशी ने कहा कि नई पीढ़ी खेलों के प्रति समर्पित और अधिक रूप से जुड़े इसके लिए मेजर ध्यानचंद को आदर्श मानकर उन्हें भारत रत्न प्रदान करना चाहिए । परिचर्चा में मिथिलेश मिश्रा, नरेंद्र सिंह राठौड़, आरती त्रिवेदी, रक्षा के. कुमार, कविता सक्सेना, नूतन मजावदिया, अनिल जोशी, मदन लाल मेहरा, मनोहर प्रजापति बीके जोशी आदि उपस्थित थे संचालन दिलीप वर्मा तथा आभार चंद्रशेखर लश्करी ने व्यक्त किया। परिचर्चा में बॉडी बिल्डिंग एसोसिएशन के विनोद यादव, कुलदीप त्रिवेदी, ओमप्रकाश त्रिवेदी आदि ने भी भाग लिया ।