जन्म-मरण से मुक्ति के लिए जरूरी है संकल्प-आचार्य प्रवर श्री विजयराजजी मसा

छोटू भाई की बगीची में प्रवचन

रतलाम,29 सितंबर। जन्म-मरण से मुक्ति केवल मानव ही प्राप्त कर सकता है। संसार में जितने भी महामानव हुए है, उन्हें संकल्प से सिद्धी प्राप्त की है। हमारे अंदर भी जिस संकल्प जाग जाएगा, उस दिन सारे आकर्षण छूट जाएंगे। जन्म-मरण के लिए संकल्प शक्ति का होना जरूरी हैं।
यह बात परम पूज्य, प्रज्ञा निधि, युगपुरूष, आचार्य प्रवर 1008 श्री विजयराजजी मसा ने कही। छोटू भाई की बगीची में चातुर्मासिक प्रवचन देते हुए उन्होंने कहा कि हमारे पास बल है, बुद्धि है, युक्ति है, शक्ति है, क्षमता है, लेकिन यदि संकल्प शक्ति नहीं है, तो मानव अपना विकास नहीं कर सकता। संकल्प शक्ति से सारे कठिन से कठिन काम हो जाते है। इसलिए आज संकल्प शक्ति जगाने की महती आवश्यकता है। यह शक्ति हमे जन्म-मरण से मुक्त होने के लिए जगाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि संकल्प से निर्णय होता है, निर्णय से निष्ठा पैदा होती है और निष्ठा से ही समर्पण आता है। बिना संकल्प के निर्णय, बिना निर्णय के निष्ठा और बिना निष्ठा के समर्पण कभी नहीं आ सकता। सबकों विचार करना चाहिए कि आज हम संकल्प शक्ति में इतने कमजोर क्यों है? जबकि संकल्प से सारे जप-तप सिद्ध हो सकते है। संकल्प के बिना व्यक्ति एक कदम भी नहीं उठा सकता। संकल्प सारे असंभव कामों को संभव बनाता है।
आचार्यश्री ने कहा कि हमारा संकल्प ही हमे आगे बढाएगा, दूसरों का नहीं। दूसरे के संकल्प हमारे लिए आदर्श हो सकते है, लेकिन हमे आगे नहीं बढा सकते। आकर्षण का केवल एंगल बदल लो, यह जैसे ही बर्हिमुखी से अंर्तमुखी होगा, वैसे ही पता चलेगा कि अपने अंदर शक्ति पुंज है, जिसके संकल्प से जन्म-मरण के बंधन से मुक्ति पाई जा सकती है।
आरंभ में उपाध्याय प्रवर श्री जितेशमुनिजी मसा ने पुण्य और पाप पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि पुण्य उदय में आता है, तो व्यक्ति जो चाहता है, उसे मिल जाता है। इसके विपरीत यदि पाप उदय में आता है, तो जो नहीं चाहते, वह हो जाता है। इस मौके पर प्रेमलता मेहता ने स्तवन प्रस्तुत किया। महासती श्री इन्दुप्रभाजी मसा ने 11 उपवास के प्रत्याख्यान लिए। इस दौरान बडी संख्या में श्रावक-श्राविकागण उपस्थित रहे।