पुण्य गुरुदेव जैन दिवाकरीय श्री धर्ममुनि जी के 50 वे दीक्षा दिवस पर नमन वंदन

  • गुरु आज्ञा को सर्वोपरि मान , दृढ़ संयम बल से अपना विशेष स्थान बनाया, संथारा विशेषज्ञ के रूप में जिनकी विशेष पहचान है
  • जिनके रोम रोम मे जैन दिवाकर बसे हे , एसे हे धर्म मुनि जी संयम दिवस पर विशेष

हरियाणा के छोटे से गांव हांसी मे सेनी परिवार मे जन्म लेकर गुरु रोशन के सम्पर्क में आये वआकर वेराग्य भाव इस प्रकार आया कि जैन संत बन गये व अपने संयम बल से कइयों के जीवन बदल डाले , उनको जैन धर्म का अनुयायी बना दिया ! जहा जैन परिवार की ज्यादा संख्या नही वंहा चातुर्मास कर इतनी धर्म आराधना हुई कि जंहा सेंकड़ो जैनियो के घर हो वंहा भी इतने पौषध व प्रात्याख्यान ना हो ! गुरु रोशन की वह बात सदैव ह्रदय मे रखी कि सदैव जैन दिवाकर का नाम प्रमुख रखना और वो उन्होंने रखा , उनकी सभी शिष्याएं जो हरियाणा , पंजाब व दिल्ली से संबधित पर उनके ह्रदय में जो दिवाकर के प्रति श्रद्धा का भाव हे वह सब धर्म मुनि जी म.सा द्वारा दिया हुआ उद्‌बोधन हे ! क्यो कि उस महान सन्त तपस्वी राज गुरु रोशन ने कहा था कि हमारी पहचान जैन दिवाकर हे इसको कभी बिसराना नंही और आज धर्म मुनि जी वो ही कार्य कर रहे है ! हरियाणा के छोटे छोटे गांव में भक्तो के यंहा जैन दिवाकर जी की तस्वीर लग रही हे उनके घर में जैन दिवाकर ज्योति पूंज की पुस्तके पढ़ी जारही हे ! धन्य हे आपका तप , आपका जिन शासन व गुरु के प्रति समर्पण ! दीक्षा दिवस पर अनेकानेक वंदन , आप स्वस्थ रहे व जिन शासन की महती प्रभावना करते रहे!
प्रस्तुति : विजय कुमार लोढ़ा निम्बाहेड़ा ( पूणे)