

जावरा ( अभय सुराणा) । संत समाज का एक ऐसा दर्पण है जो निरंतर भगवान महावीर स्वामी जी की वाणी को आत्मसात कराने के लिए विहार के माध्यम से विचरण करते हुए गांव-गांव शहर-शहर भ्रमण करते हुए भगवान महावीर के सिद्धांतों के साथ त्याग तपस्या मानव सेवा जीवदया की प्रेरणा देकर हमारा जीवन को एक नई दशा नई दिशा प्रदान करने का कार्य करते हैं। आज मैं लगभग 4 वर्ष बाद इस पावन पुण्य धरा पर जावरा श्री संघ की लगातार विनती जो कि अपने संतों पर प्रेम स्नेह अपनत्व के कारण सेकेकाल जावरा आये है यह पावन भूमि हमारे दादा गुरुदेव श्री रतनचंद जी म सा, के साथ प्रवर्तक श्री हीरालाल जी म सा के स्वर्गारोहण की पावन भूमि है साथ ही जावरा के गोरव चपडोद कुल दिपक कार्यवाहक आचार्य मालव रत्न ज्योतिषाचार्य उपाध्याय श्री कस्तुर चंद जी म सा जन्मभुमि है इस माटी पर मेरी स्वयं की बड़ी दीक्षा हुई है यह माटी वंदनीय है। उक्त बात प्रवचन के दोरान श्रमण संघीय जैन दिवाकरीय प्रवर्तक बहुश्रुत कवि श्री विजय मुनि जी म सा ने कहीं प्रवचन के दोरान उपप्रवर्तक चंद्रेश मुनि जी म सा अरिहंत आराधिका डॉ विजया श्री जी म सा ने भी अपनी बात रखी।
उक्त जानकारी देते हुए श्री संघ के महामंत्री महावीर छाजेड, एवं अ भा जैन दिवाकर विचार मंच के राष्ट्रीय मिडिया प्रभारी संदीप रांका ने बताया की जैन दिवाकरीय श्रमण संघीय बहुश्रुत कवि श्री विजय मुनि जी म सा “तीर्थ” उपप्रवर्तक श्री चंद्रेश मुनि जी म सा श्री अभिजित मुनि जी म सा आदि ठाणा 3 रोजाना से विहार 18 जनवरी गुरुवार को 9:15 बजे बोहरा बाखल से नगर प्रवेश कर जैन दिवाकर भवन खारीवाल मोहल्ला जावरा पधारे। जहा पर प्रवचन हुए बोहरा बाखल से आपकी आगवानी महासती डॉ विजया श्री जी म सा ने की इस मंगलमय प्रवेश एवं प्रवचन में ओमप्रकाश श्रीमाल, पूर्वा अध्यक्ष द्वय पुखराज कोच्चटा, बंसतीलाल चपडोद, सुशील चपडोद, के साथ राकेश मेहता, संदीप रांका, श्रीपाल कोच्चटा, रमेश चन्द्र जैन, कनकमल चोरडीया, अजय चपडोद, जवाहरलाल श्री श्री माल, मनोज डांगी, जतीन कोच्चटा, अभय मंडलेचा, राकेश श्रीमाल, संजय सुराणा, अशोक रांका, सुनील मेहता, सुशील मेहता, शांतिलाल डांगी,आकाश जैन, सुभाष चोरड़िया, आयुष चोरडिया, महेंद्र रांका आदि श्रावक श्रावीका उपस्थित थे। 19 जनवरी शुक्रवार से प्रतिदिन प्रवचन प्रातः 9 बजें से जैन दिवाकर भवन पर होंगे।
आज की प्रभावना की लाभ ओमप्रकाश हेमंत कुमार गगन कुमार श्रीमाल परिवार दवारा वितरित की गई संचालन महावीर छाजेड द्वारा किया गया।