भगवान राम ने अपना आचरण मर्यादित रखा इसलिए मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम आज संपूर्ण विश्व में पूज्यनीय वंदनीय हैं – जैन दिवाकरिय श्रमण संघीय प्रवर्तक श्री विजय मुनि जी म.सा.

जावरा (अभय सुराणा) । यह जीवन हीरे से भी कीमती है यह अमूल्य जीवन बार-बार नहीं मिलता कीमत का मूल्यांकन मनुष्य ने किया है वर्तमान में जड़ वस्तु कीमती होती जा रही है और स्वयं इंसान की कीमत कम हो रही है। पत्थर पहाड़ से टूटता है गिरते गिरते हुए नदी के बहाव के साथ जितना आगे जाता है वह उतना ही (सालीग्राम) कीमती बन जाता है ठोकर खाते हुए पत्थर को शिल्पकार अपने दिमाग की कल्पना से यदि मूर्ति बनता है तो वह पूज्यनीय हो जाती है भगवान राम ने अपना आचरण मर्यादित रखा इसलिए मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम आज संपूर्ण विश्व में पूज्यनीय वंदनीय हैं आज पुरा भारत राममय है हमे उनके बताये मार्ग पर चलना चाहिए। ठीक उसी तरह गुरु हमेशा सही मार्ग दिखाते हैं जीवन का दर्शन देते हैं ।उपरोक्त धर्मं सन्देश दिवाकर भवन पर विराजित आगम मनस्वी प्रवर्तक गुरुदेव विजयमुनि जी म सा ने फरमाए मधुर व्खायानी उपप्रवर्तक चंद्रेश मुनि जी ने भी धर्मं सभा को संबोधित करते हुए बताया की यह जिनवाणी है जिनेंद्र भगवान द्वारा प्रतिपादित सम्यक वाणी है यह सम्यक वाणी इंसान के कर्ण पटल पर स्पर्श करते ही कान पवित्र हो जाते हैं यह देशना आत्म देशना का प्रतीक है जिससे आत्मिक शुद्धि होती है मंजिल पर पहुंचने के लिए व्यक्ति का पराक्रम आवश्यक है भगवान ने फरमाया है अपना आत्म कल्याण करो आत्म कल्याण के लिए धर्म करना आवश्यक है वस्तु के स्वभाव को ही धर्म कहा गया है धर्म आचरण करने की चीज है जिनवाणी अच्छी है धर्म अच्छा है पापो से बचने का साधन है लेकिन आचरण स्वयं को पड़ेगा। साथ देने वाला धर्म है साथ छोड़ने वाला संसार है, हमारी इच्छा हो तो भी ना हो तो भी यह संसार छोड़ना पड़ेगा और अज्ञानता को हटाने के लिए पुरुषार्थ करें धर्म का आचरण करने वाला व्यक्ति कभी भी नीचे नहीं जाता वह अपने आप शिखर की ओर बढ़ता जाता है। उपरोक्त जानकारी देते हुए श्री संघ के महामंत्री महावीर छाजेड, एवं अ भा जैन दिवाकर विचार मंच के राष्ट्रीय मिडिया प्रभारी संदीप रांका ने बताया की अरिहंत आराधिका प्रवचन मनीषी महासती विजय श्री सुमन ने धर्मं सभा को संबोधित करते हुए फरमाया कि तीर्थंकर भगवान कहते हैं अमूल्य निधि को प्राप्त करो इसे प्राप्त करने के लिए दान,शील तप,भावना का बहुत बड़ा योगदान है। 10 ग्राम सोना भी आप तिजोरी में रखते हो लेकिन 25 लाख की गाड़ी भी रोड पर रखते हो। हमें जीवन मिला है उसमें आपको चैतन्य ज्ञान की प्राप्ति हुई है या नहीं इसका हमें आत्म लक्ष्य रखना चाहिए।
उक्त धर्मसभा मे ओमप्रकाश श्रीमाल, संदीप रांका, शांतिलाल डांगी, धनसुख चोरडिया, बसंतीलाल चपडोद, सुशील चपडोद, पुखराज कोच्चटा, शांतिलाल दुग्गड़, मनोहरलाल चपडोद, विनोद ओस्तवाल, जवाहरलाल श्रीश्रीमाल, कमल चपड़ोद, अनिल पोखरना ,विजय भण्डारी, मोहनलाल पोखरना, सुशील मेहता, विनोद चपडोद, दिलीप भंडारी, बसंत बोथरा, अनिल दुग्गड ,वर्धमान माण्डोत, पारसमल औरा, अशोक मेहता, अभय मंडलेचा, अनिल चपडोद, पराग कोच्चटा, राजमल भंडारी, बाबूलाल भटेवरा, सुनिल मेहता, मनीष मेहता, सुभाष चोरडीया, शांतिलाल रांका, नेमिचंद रांका, महेंद्र रांका प्रफुल्ल तातेड, फतेहलाल मेहता, निरंजन राका, अजय चपडोद, आदि उपस्थित थे। प्रभावना का लाभ श्रीमति संपत बाई सुजानमल जी मेहता परिवार एवं सुरेन्द्र कुमार पियूष कुमार सुराणा कंवर सा परिवार की और से वितरित की गई। संचालन महामंत्री महावीर छाजेड ने किया।