रतलाम। महामंडलेश्वर स्वामी श्री चिदम्बरानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा है कि श्री मदभागवत कथा का श्रवण देवताओं को भी दुलर्भ है लेकिन अधिक मास में वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमणकाल में भी हमें कथा श्रवण सुलभ होना, यह सबसे बड़ा “पुण्योत्सव” है। महामारी से अब अविलम्ब विश्व परिवार मुक्त हो सनातन धमज़् विश्व कल्याण की कामना करता है लेकिन कोरोना के साथ सनातनधमज़्-संस्कृति-शास्त्र विरोधी मानसिकता से भरे दुविज़्चार भी आज वैश्विक महामारी की तरह समस्या बन रहे है। इसका उन्मूलन केवल कथा से ही होगा।
पुरुषोत्तम मास के अवसर पर हरिहर सेवा समिति रतलाम द्वारा 2012 से स्वामीजी के सानिंध्य में श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया जाता है लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के कारण कथा को पारिवारिक आयोजन का रूप दिया गया है। दयाल वाटिका समिति अध्यक्ष व आयोजक मोहनलाल भट परिवार द्वारा आयोजित “पुण्योत्सव” की शुरुआत में भट्ट परिवार ने भागवत जी पोथी का पूजन किया। अखंड ज्ञान आश्रम संचालक स्वामी श्री देवस्वरूपानन्द जी महाराज आदि ने आरती की। फेसबुक अकाउंट ‘स्वामी चिदम्बरानन्द सरस्वतीÓ पर श्रीमद् भागवत कथा के लाइव प्रसारण समय शाम 4:30 बजे है। जिससे कथा का लाभ सभी घर बैठे ले सकते है।
कोरोना काल पावन परम्परा का निवज़्हन-
पूज्यश्री ने कहा कि रतलाम शहर को “रत-रामÓ कहा जाना चाहिए क्योंकि यह आस्थावानों का शहर है। वषज़् 2012 से यंहा लगातार हर साल और प्रत्येक अधिक मास में कथा आयोजन हो रहा है। विगत अधिक मास 2018 में तो सम्पूणज़् मास में लगातार चार कथाओं ने एक कीतिज़्मान रचा। कोरोना काल में इसी पावन परम्परा का भट्ट परिवार द्वारा निवज़्हन सोशल डिस्टेंस के सभी नियमों का पालन करते हुए किया जाना अनुकरणीय है। उन्होंने धमज़्निष्ठ श्रीमती निमज़्ला जगदीश राव मामीजी के असामयिक निधन पर श्रद्धांजलि अपिज़्त की।
कलयुग के कालनेमी से सावधान-
स्वामीजी ने कहा कि आज समाज में शास्त्रों के लेकर भ्रमति किया जा रहा है। शास्त्रों की मनमानी और कपोल कल्पित व्याख्या कर समाज में भ्रम फैलाया जा रहा है। कथाओं के माध्यम से जब सनातन धमज़् की एकता-एकजुटता दिखाई देती है तो विरोधी मानसिकता वालों को ये बढ़ा खटकता है और ग्रन्थों/पुराणों की प्राथमिकता पर सवाल उठाये जाते है। हमें कलयुग के कालनेमी के ऐसे षड्यंत्रों से सावधान रहना है। किसी भी प्रकार की शंका का समाधान व्यासपीठ करने में समथज़् है, हम भ्रम का शिकार नहीं हो।
कथा को छोडकर सबकुछ चाहते है
आपने कहा की जीवन में प्रारब्ध फलीभूत होने पर सुख-सुविधा और ऐश्वयज़् मिलेगा ही सही लेकिन हम कथा श्रवण का लक्ष्य संसार के नश्वर पदाथज़् और सुख नहीं बनाये। राजा परीक्षित ने अमृत को छोडकर कथा को प्राथमिकता दी तो वे अमर हो गये और हम कथा को छोडकर सबकुछ चाहते है..यही सबसे बड़ी भूल है। कथा श्रवण करने से जीवन में ज्ञान,भक्ति और वैराग्य पुष्ट होते है। भागवत जी केवल ग्रन्थ नहीं बल्कि ये तो भगवान का साक्षात् विग्रह है।
यंहा सुनील भट्ट व् राजेन्द्र सोनी ने भजन प्रस्तुत किये। संचालन कैलाश व्यास ने करते हुए रतलाम में संतों के सत्संग/ कथा की पावन श्रंखला को बताते हुए कहा कि यह पुण्यधरा संतों की कृपा से हमेशा जीवन को धन्य करती आयी है। इसी क्रम में यह कथा एक नई आध्यात्मिक चेतना जाग्रत करेगी।