जावरा (अभय सुराणा)। जैन दिवाकर श्री चौथमल जी म.सा के सुशिष्य दिवाकर शासन शिरोमणि, शताब्दी नायक, श्रमण संघ के वरिष्ठ उपाध्याय श्री मुलमुनी जी म सा वर्तमान में 99 वर्ष की आयु में जैन समाज में शताब्दी पुरुषोत्तम 81वर्ष की दीक्षा पर्याय वाले संत है आपके जन्म शताब्दी वर्ष की शुरुआत कोटा राजस्थान मे विराजीत उपाध्याय श्री मुलमुनी जी म सा एवं दिवाकर दिवाने उपप्रवर्तक श्री राकेश मुनी जी मसा की उपस्थिति मे आसोज सुदी पंचमी 21 अक्तूबर 2020 बुधवार को पुरे भारत मै जन्म शताब्दी की शुरुआत आपके जन्मदिन से प्रारंभ हो रहा है । जैन कांफ्रेंस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पारस मोदी एवं राष्ट्रीय महामंत्री शशिकुमार कर्नावट के आव्हान पर आप उपाध्याय भंगवत के जन्मदिन पुरे भारतवर्ष मै 9900 एकासन के साथ ही 99000 सामायिक रुपी धर्म ध्यान त्याग तपस्या के रुप मे श्रमण संघीय आचार्य डॉ शिवमुनी जी म सा, युवाचार्य श्री महेन्द्रऋषी म सा, के साथ ही जैन दिवाकरीय श्रमण संघीय प्रवर्तक श्री विजय मुनी जी म सा, श्रमण संघीय सलाहकार श्री सुरेश मुनी जी म सा शास्त्री, श्री रतनमुनी जी म सा, श्री वीरेन्द्र मुनी जी म सा, संथारा विशेषज्ञ श्री धर्ममुनी जी म सा, श्री बसंत मुनी जी म सा, श्रमण संघीय मंत्री राष्ट्रसंत श्री कमल मुनी जी म सा कमलेश, श्रमण संघीय वरिष्ठ प्रवर्तनी श्री चंदना जी म सा, उपप्रवर्तक श्री प्रदीप मुनी जी म सा, उपप्रवर्तक श्री सुभाष मुनी जी म सा,उपप्रवर्तक श्री ॠषभ मुनी जी म सा, उपप्रवर्तक अरुण मुनी जी म सा, उपप्रवर्तक गोतम मुनी जी म सा, उपप्रवर्तक श्री चंद्रेश मुनी जी म सा, संस्कार मंच प्रणेता श्री सिद्धार्थ मुनी जी म सा, उपप्रवर्तनी महासती श्री शांताकुवर जी म सा, डॉ मधुबाला जी म सा, उपप्रवर्तनी श्री डॉ सुशील जी म सा, महासती श्री कंचन कुवर जी म सा,महासती श्री मगंलप्रभा जी म सा नागपुर, जैन दिवाकरीय जावरा कि गोरव महासती श्री कुमुदलता जी म सा, जावरा गोरव श्री संयमलता जी म सा, महासती श्री जय श्री जी म सा, महासती श्री चारु प्रज्ञा जी म सा, महासती श्री कमलेश जी म सा, महासती श्री चंद्रकला जी म सा, महासती श्री मनीषा जी म सा, महासती श्री अर्चना जी म सा मीरा, महासती श्री रचिता जी म सा, महासती श्री प्रतिभा जी म सा, महासती श्री अमित सुधा जी म सा, महासती श्री श्यामा जी म सा, महासती श्री अपूर्वा श्री जी म सा आदि जैन दिवाकरीय ,श्रमण संघीय वरिष्ठ साधु संतो एवं साधु साध्वी के पावन सानिध्य मै गुरुभक्त श्रावक-श्राविका द्वारा सामायीक एवं एकासन दिवस के रुप में 21 अक्तूबर बुधवार को मना रहें हैं । पूज्य उपाध्याय श्रीमुलमुनी जी म सा ने जैन दिवाकर श्री चौथमल जी म सा जी के मात्र एक प्रवचन सुनकर मन में वैराग्य भाव जागा ओर आपनें दिक्षा ग्रहण कर अपने भव भव के कर्मो का क्षय किया। आपने 10 वर्ष तक जैन दिवाकर जी की सेवा की उसके पश्चात जावरा के गोरव करुणा के सागर मालवरत्न ज्योतिषाचार्य उपाध्याय श्री कस्तूरचंद जी महाराज की 14 वर्ष तक सेवा की। उपाध्याय श्री कस्तूर चंद जी महाराज सदैव ये कहते थे कि श्री मूल मुनि जी महाराज ने मेरी ओर सभी संतों कि बहुत सेवा की। गुरुदेव ने अपने जीवन में आचार्य श्री मन्नालाल जी म सा ,आचार्य श्री खूबचंद जी म सा ,आचार्य श्री लालजी म सा , श्रमण संघीय आचार्य श्री आत्मारामजी म सा,आचार्य सम्राट श्री आंनद ऋषि जी म सा ,आचार्य श्री देवेन्द्र मुनि जी म सा, ध्यान योगी आचार्य डॉ शिव मुनि जी म सा सहित सात से अधिक आचार्य भगंवतो के सानिध्य में धर्म ध्यान तप जप कर जिनशासन कि सेवा वर्तमान में भी कर रहे है इतने आचार्यों के साथ जिनशासन की सेवा मे लीन रहतें हुए प्राणीमात्र की सेवा करनें का संकल्प देते हुए एक मात्र संत
उपाध्याय श्री मूल मुनि जी म सा आज भी बिना चश्मे के पुस्तक पढ़ते है तथा बिना सहारे के बेठते है ऐसे संत मिलना मुश्किल है। दिक्षा पश्चात 81 वर्षों से लगातार प्रति रविवार आयंबिल तप कर रहें हैं। आप उपाध्याय कवि हृदय है तथा उन्होंने अनेक भजन,साहित्य की रचना की है। पूज्य उपाध्याय श्री का आर्शीवाद और छत्रछाया सदैव सभी श्रावक श्रावीका और संघ समाज पर बनी रहे। उक्त जानकारी जैन कांफ्रेंस युवा शाखा नईदिल्ली के निवृत्तमान राष्ट्रीय संगठन मंत्री संदीप रांका जावरा ने बताया की उपाध्याय भंगवत ने पुरे भारतवर्ष मै पैदल भ्रमण कर धर्म कि महिमा बताते हुए लाखों लोगों का धर्म की राह पर चलने का संदेश देते हुए अनगिनत मानव के जीवन को नई दिशा प्रदान कि है । उपाध्याय श्री मुलमुनी जी म सा के शताब्दी वर्ष कि शुरुआत मै 9900 एकासन 99000 सामायीक करनें कि अपिल श्री आल इंडिया श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन कांफ्रेंस नईदिल्ली, श्री अ भा जैन दिवाकर संगठन समिति, अ भा श्री भगवान जैन दिवाकर अहिंसा सेवा संघ चैरिटेबल ट्रस्ट इन्दौर, अ भा जैन दिवाकर विचार मंच, अ.भा. जैन दिवाकर संस्कार मंच आदी के साथ गुरुभक्तों ने ज्यादा से ज्यादा धर्म ध्यान तप जप करनें कि अपिल कि है।