गुणों से शोभित है गुरुदेव


श्रमण संघ की आप आन बान और शान है

बुद्धि का मापदंड और अनुशासन महान है

कोई पार पा नहीं सकता आपकी तेजस्विता से

आपका अनमोल व्यक्तित्व ही गुणों की खान है

बीज को माली जमीन में बोता है बीज के विकास के लिए संरक्षक चाहिए प्रकाश, पानी खाद तभी तो बीज से पौधा पौधा से वट वृक्ष बनेगा वही वट वृक्ष अपने फलो और छाया से सभी को तृप्त करता है इसी प्रकार गुरु भी अपने भक्तो को संभाल कर के उन्हें धर्म वह प्रगति के मार्ग पर आगे बढ़ाते हैं। परम पूजनीय, श्रद्धेय, शताब्दी नायक, शासन शिरोमणि दिवाकर गुरु के लाडले वात्सल्य वारिधि सभी के दिलों पर राज करने वाले अप्रमत्त योगी दादा गुरुदेव उपाध्याय भगवान श्री मूल मुनि जी महाराज साहब को अंतर मानस की तमन्ना के साथ अनंत वंदन, अभिनंदन, बधाई श्री चरणों में वंदन करते हुए सुख शांति की शुभकामना प्रेषित करते हैं आप की गौरवमयी गाथा को मूलरूप मे गाने का सौभाग्य हमें प्राप्त हुआ है। हम खुशकिस्मत हैं कि आप जैसे महान गुरु जी का सानिध्य वह वरद हस्त हमें प्राप्त हुआ है आप चतुर्विद संघ पर अपनी कृपा बरसाए। आप सभी को फरमाते हैं सम्यक पुरुषार्थ करो, मधुर सा व्यवहार है आपका, इसलिए आप सभी के दिल को भाते हैं, मीठी वाणी से सबको घुमाते हो, कली काल में भारत का ताजमहल, पीसा की झूलती मीनार, मिश्र के पिरामिड, फ्रांस का एल्फील टावर चीन की दीवार आदि आश्चर्य है पर इस से भी सुंदर कोई चलता फिरता आश्चर्य है तो वह है जैन मुनि। इसी संदर्भ में उपाध्याय भगवान का जीवन भी ऐसा ही रहा है वह साधुता में रमण करने वाले, अपनी संयम साधना से जीवन धरातल को सुरभीमय बनाते है अपनी भावधारा के शुभ तरंगों से सुख और आत्मा अपरिमित आनंद कितना अनुपम और अनुराग पूर्ण होता है। यह ज्ञान रूपी रसगुल्ले प्रदान करते रहते हैं जो साधक के जल्दी से गले में उतर जाते हैं। गुरुदेव आप ज्ञानी महाज्ञानी है। अज्ञान अंधकार में भटक रहे अज्ञ प्राणियों को ज्ञान का अनंत प्रकाश दिलाते आप के जीवन यात्रा सुखमय, आनंदमय, मंगलमय हो। आशीष का प्रॉफिट देवें।
पतितो को पावन करते, मैत्री ज्ञान का भंडार भरते
गुरु भक्ति जो रग- रग में धरते, ऐसे मूल गुरु के चरणों में वंदन करते हैं।
साध्वी सुदर्शना