दिगंबर और श्वेतांबर दोनों परंपराओं के संतों का आत्मीय मिलन देखकर जनता अभिभूत हुई

मुंबई दहिसर अहिंसा ग्राउंड11 जुलाई 2024 । मनमुटाव, बिखराव, अलगाववाद की दीवार धर्म और कर्मकांड के नाम पर खड़ी होती है। इससे बड़ा और कोई घोर पाप नहीं हो सकता। उक्त विचार राष्ट्र संत कमल मुनि जी कमलेश ने संबोधित करते हुए कहा कि धर्म जोड़ने का काम करता है तोड़ने का नहीं।
उन्होंने कहा कि परस्पर दो आत्माओं के मिलन पर चाहे वह किसी भी धर्म जाति से हो प्रेम वात्सल्य और सौहार्द का माहौल बनता है इससे बड़ा और कोई धर्म नहीं हो सकता। मुनि कमलेश ने कहा कि वर्तमान के युग में संगठन से बड़ा कोई धर्म नहीं हो सकता। धर्म का प्राण ही संगठन है। जिसका संगठन में विश्वास नहीं वह मुर्दे धर्म का पालन कर रहा है।
राष्ट्र संत ने स्पष्ट बताया कि एकता के बिना किसी भी क्षेत्र में सफलता संभव नहीं हो सकती। जो एकता में योगदान नहीं दे रहे हैं वह असफलता का पाप कमा रहे है। जैन संत ने बताया कि महावीर एक है, मोक्ष एक है, मंजिल एक है, हम भी एक होंगे तभी महावीर के सपूत कहलाएंगे मार्ग आने अलग-अलग हो सकते हैं पर लक्ष्य एक है। दिगंबर परंपरा के महान संत प्रशांत सागर जी ने कहा कि सांप्रदाय क्रिया उपासना पद्धति मात्र व्यवस्था है उसे धर्म मान लेना अज्ञानता का परिचय है। दिगंबर और श्वेतांबर दोनों परंपराओं के संतों का आत्मीय मिलन देखकर जनता अभिभूत हो गई जैन एकता जिंदाबाद, जैनम जयति शासनम के नारे लगे। दोनों संतों ने संपूर्ण जैन समाज से एकता का आवाहन करते हुए कहा नशा मुक्ति, हिंसा, आतंकवाद, भ्रूण हत्या, दहेज, अहिंसा, गौ रक्षा और विधवा को वीरांगना के रूप में सम्मानित करने का प्रस्ताव पास किया। दोनों मिलकर इन कार्यक्रमों को आगे बढ़ाएंगे जम्मू में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि दी गई।