मांगीलाल यादव स्मृति व्याख्यान में जसविंदर सिंह ने कहा
रतलाम । आदमियों की भीड़ में इंसान बनना सबसे मुश्किल है । इंसान बनने के लिए अपने आसपास की दीवारों को तोड़ना पड़ता है और अपनी दृष्टि को दूर तक पहुंचाना पड़ता है । जो इंसान ऐसा कर पाता है वही मांगीलाल यादव जैसी शख्सियत का दर्ज़ा पाता है ।
उक्त विचार स्व. मांगीलाल यादव स्मृति व्याख्यान में भोपाल से आए विचारक जसविंदर सिंह ने व्यक्त किए । ‘क्रांतिकारी आंदोलन और दुर्गा भाभी ‘ विषय पर बोलते हुए श्री सिंह ने कहा कि क्रांतिकारी आंदोलन की केंद्र बिंदु दुर्गा भाभी ही रही । उन्होंने न सिर्फ़ अपने पति के साथ सुख सुविधाओं का त्याग किया बल्कि क्रांतिकारियों का भरपूर सहयोग भी किया । वह घर में बैठकर सलाह देने वाली महिला नहीं थी । उन्होंने क्रांतिकारियों की तरह स्वयं अंग्रेजों पर गोलियां भी चलाई और अपने क्रांतिकारी साथियों के बचाव के लिए छद्म वेश भी धारण किए । उन्होंने कहा कि ऐसी महिला का त्याग और उसके कार्य लोगों तक इसलिए नहीं पहुंच पाए क्योंकि हमारी मानसिकता पुरुष केंद्रित है। दुर्गा भाभी के योगदान को सही तरीके से समाज के सामने पहुंचाना बहुत आवश्यक है । अपनी किशोर उम्र से लेकर वृद्धावस्था तक वे संघर्ष करती रही । आज़ादी के बाद भी उन्होंने न तो कोई पद स्वीकार किया न ही सुख सुविधाओं के लिए किसी से याचना की । वे उम्र भर भारत माता की बेटी बनकर काम करती रही । उनकी कार्यशैली से एक सफल इंसान बने के गुण को पाया जा सकता है ।
मांगीलाल यादव के महाविद्यालयीन जीवन के साथी रहे अनीस ख़ान ने कहा कि मांगीलाल जी सहज, सरल स्वभाव के व्यक्ति थे । उनकी वैचारिकता का स्तर बहुत ऊंचा था । वे निरंतर पढ़ते थे और विचारकों को द्वारा कही गई बातों को आत्मसात भी करते थे । महाविद्यालय के सभी साथियों में भी एक अध्ययनशील विद्यार्थी की तरह पहचाने जाते रहे ।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए आशीष दशोत्तर ने कहा कि मांगीलाल जी यादव की इच्छा थी कि रतलाम शहर में दुर्गा भाभी पर एक कार्यक्रम आयोजित होना चाहिए । उनके जीते जी यह कार्यक्रम नहीं हो सका लेकिन उनकी स्मृति में यह व्याख्यान हो रहा है इससे निश्चित रूप से उनकी आत्मा को शांति मिलेगी। चिंता एवं विचारक विष्णु बैरागी ने आभार प्रदर्शन करते हुए रतलाम शहर में वैचारिक आयोजनों में उपस्थित सुधी श्रोताओं के महत्व को महत्वपूर्ण निरूपित किया ।
इनकी उपस्थिति रही
कार्यक्रम में वरिष्ठ रंगकर्मी डॉ. मनोहर जैन , डॉ. प्रदीप सिंह राव , सुभाष यादव, सिद्धीक रतलामी , रणजीत सिंह राठौर, सुभाष जैन, अशोक यादव, नितिन लोढ़ा, जसवंत यादव, प्रकाश हेमावत, नरेंद्र त्रिवेदी, नरेन्द्र सिंह डोडिया, जवेरी लाल गोयल सहित सुधिजन एवं यादव परिवार के सदस्य उपस्थित रहे।