विधि महाविघालय मे नये कानूनों पर राष्ट्रीय सेमिनार का शुभारंभ

  • भारतीय होने के नाते सबको नये कानून बनने का गर्व होना चाहिए-डीआईजी मनोज सिंह
  • अतिरिक्त सचिव भरत व्यास ने कहा-नये कानूनों पर नई सोच देने के लिए विधि महाविघालय की पहचान होगी

रतलाम 20 जुलाई 2024। देश में 1 जुलाई से लागू नये कानूनों पर रतलाम एजुकेशनल सोसायटी द्वारा संचालित डॉ.कैलासनाथ काटजू विधि महाविघालय मे शनिवार को राष्ट्रीय सेमिनार का शुभारंभ हुआ। उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि रतलाम रेंज के डीआईजी मनोज सिंह रहे। विशेष अतिथि विधि एवं विधायी कार्य विभाग के अतिरिक्त सचिव भरत व्यास रहे। अध्यक्षता सेवानिवृत अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक विजय वाते ने की। महाविघालय ट्रस्ट उपाध्यक्ष एडवोकेट निर्मल कटारिया सचिव डॉ संजय वाते कोषाध्यक्ष केदार अग्रवाल, ट्रस्टी निर्मल लुनिया, कैलाश व्यास, सुभाष जैन, उमेश झालानी, डॉ.मुरलीधर चांदनीवाला मंचासीन रहे।
अतिथियों ने सेमीनार का उद्घाटन मॉ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलित कर किया। मुख्य अतिथि डीआईजी श्री सिंह ने इस मौके पर कहा कि भारतीय होने के नाते हम सबको नये कानून बनने का गर्व होना चाहिए। इन कानूनो के माध्यम से गुलामी की मानसिकता को खत्म किया गया है। पाकिस्तान, मलेशिया सहित कई देशो मे आज भी वे कानून चल रहे है, जिन्हे खत्म कर भारत का नया कानून बनाया गया है। श्री सिंह ने नये कानून के तहत 15 दिन के पुलिस रिमार्ड, डिजिटल साक्ष्य एवं शून्य पर कायमी की व्यवस्था के साथ आतंकवाद जूडे बिंन्दुओं पर प्रकाश डाला। उन्होने कहा कि नया कानून लागू होने के बाद भी कुछ सालों तक नया और पुराना दोनो कानून पढ़ने होगे, क्योकि पुराने अपराधों की विवेचना पुराने कानून के तहत् ही होनी है।
विशेष अतिथि श्री व्यास ने कहा कि गूगल पर रतलाम की पहचान अब तक सेव,सोना एवं साडी के लिए रही है, लेकिन सेमिनार आयोजन से नये कानूनों पर नई सोच देने के लिए डॉ. कैलासनाथ काटजू विधि महाविघालय के नाम से भी पहचान होगी। इस महाविघालय से डिग्री लेकर उनके पिता सिविल जज और फिर अन्य बडे पदों पर रहे है। नए कानूनों का जहां तक सवाल है, तो दुनिया में सबकुछ नष्ट हो सकता है, लेकिन परिवर्तन कभी समाप्त नहीं होगा। परिर्वतन के साथ बदलने वाले ही संसार मे रह सकते है। देश मे लागू तीनों नए कानून ऐसे ही परिवर्तन है ,जिनके साथ सबको आगे बढ़ना होगा। उन्होने नए कानून के नामों का मर्म समझाते हुए कहा कि भारतीय दण्ड सहिता को भारतीय न्याय सहिता और दण्ड प्रक्रिया सहिता को भारतीय नागरिक सुरक्षा सहिता नाम दिया है, जो न्याय और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करते है। पूर्व के कानून दण्ड प्रधान रहे, जबकि अब कानून न्याय प्रधान रहेगे।
अध्यक्षता कर रहे श्री वाते ने कहा कि कानून एक दिन मे नही बनते, अपितु इनमे अनवरतता हमेशा रहती है और परिवर्तन होते रहते है। वकीलों की भूमिका हमेशा महत्वपूर्ण रही है। देश को आजादी दिलाने से लेकर अब तक कई कार्यो मे वकील ही आगे रहे है। हाईकोर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट को वकील ही कानून के बारे मे सोचने के लिए विवश करते है। नये कानूनों पर भी ऐसे ही विचारों की आवश्यकता है क्योकि इनमे न्याय का भाव छुपा है।
आरंभ मे ट्रस्ट उपाध्यक्ष एड्वोकेट निर्मल कटारिया ने स्वागत भाषण दिया। ट्रस्टी एवं पूर्व उपसंचालक अभियोजन कैलाश व्यास ने सेमिनार के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। प्राचार्य डॉ.अनुराधा तिवारी ने सेमिनार के कार्यक्रमों की जानकारी दी।
संचालन प्राध्यापक मीनाशी बारलो एवं तन्वी थापलिया ने किया आभार ट्रस्ट सचिव डॉ. संजय वाते ने माना ।