जैसा बीज बोओगे वैसी ही फसल मिलेगी – सुशिष्या साध्वीश्री पुण्य प्रभा जी

त्रि दिवसीय वर्षावास स्थापना महोत्सव सम्पन्न

रतलाम । आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री पुण्य प्रभा जी के सानिध्य में स्थानीय तेरापंथ भवन सेठजी का बाजार त्रि दिवसीय वर्षावास स्थापना का कार्यक्रम समायोजित किया गया। जिसमें अनेक भाइयों और बहनों ने इन तीन दिनों में उपवास, बेला, तेला, एकासन आदि तप के द्वारा श्रद्धा को अभिव्यक्त किया । उपस्थित जनमेदिनी को सम्बोधित करते हुए साध्वी श्री पुण्यप्रभाजी ने कहा कि चार्तुमास आते ही किसान बीजों को बोने की तैयारी करता है वैसे ही हमारे लिए ज्ञान, दर्शन, चरित्र और त्याग तपस्या के बीज बोने का सीजन होता है । जैसा बीज बोओगे वैसी ही फसल मिलेगी।
साध्वी श्री ने चार्तुमास के लिए उपयुक्त कौन सा क्षैत्र होता है उसकी भी विस्तृत जानकारी दी। त्रि दिवसीय कार्यक्रम में प्रथम दिन तेरापंथ के आद्य प्रवर्तक आचार्य भिक्षु के बारे में बताया। चूंकि इस दिन आचार्य ने इस धरा पर अवतार लिया व इसी दिन आषाढ़ शुक्ल त्रयोदशी को शुद्ध साधना के मार्ग का बोद्य प्राप्त किया । तेरापंथ में इस दिन को बोधि दिवस के रूप में मनाया जाता है । साध्वी श्री जिनयशाजी ने इस अवसर पर अपने भावों की अभिव्यक्ति दी। त्रि दिवसीय कार्यक्रम के दूसरे दिन वर्षावास अनुष्ठान करवाया । साध्वी वृंद ने ‘यह अवसर त्याग का अवसर है जागृति का सुअवसर हैÓ गीत के द्वारा चार्तुमास में किए जाने वाले कार्यो की जानकारी दी।    तीसरे दिन साध्वी जी ने तेरापंथ की मर्यादाओं का वाचन किया और गुरु पूर्णिमा के महत्व को उजागर किया।
इस अवसर पर सभा मंत्री मनीष बरबेटा द्वारा श्रावक निष्ठा पत्र का वाचन किया गया तथा संजय पालरेचा ने भी अपने विचार व्यक्त किए। अंत में ‘जय-जय धर्म, संघ अविचल होÓ के संघगान से कार्यक्रम को सम्पन्न किया गया ।