रतलाम 23 जुलाई मंगलवार। एक अठ्ठम श्री कृष्ण ने किया और उनको पार्श्वनाथ प्रभु मिले थे। उसके लिए आपको भी अठ्ठम करना है। अठ्ठम् में जप जरूरी है। आप तप कर लेते हो जप नहीं करते तो कुछ मिलने वाला नहीं है और शक्ति के साथ जप और तप करोगे तो चमत्कार जरूर होगा। यह बात साध्वी श्री अनंत गुणा जी म.सा.ने खेरादी वास के नीम वाले उपाश्रय में आयोजित प्रवचन में की।
साध्वी श्री ने मंगल प्रवचन में कहा कि चातुर्मास के पावन अवसर पर कहा कि महावीर ने तीन प्रकार की जीव बताए । रागी, वेरागी और वीतरागी वह आत्मा होती है जो संसार की बातें करती है। संसार में मगन रहती है इसके अलावा इसको कुछ दिखता नहीं है। जो राग दृष्टि से मुक्त हो जाता है वह वेरागी कहलाते हैं घर में रहो पर मोह में मत रहो, संसार में रहो पर अनासक्ति भाव लाना है, राग से ऊपर उठाना ही वैराग्य है। अनासक्ति भाव आत्मा में आने से तप घटित होता है। यह तप करने का मौसम है एक साधना है एक भावना है तप करने का मौसम आया है अभी सिद्धि तप करना है अनासक्ति भाव लाना जरूरी है। कल प्रातः 9:30 बजे अनासक्ति भाव के बारे में समझाया जाएगा ।
सौ. वृ.त. त्रीस्तुतिक जैन श्री संघ एवं राज अनंत चातुर्मास समिति, रतलाम के तत्वाधान में आयोजित प्रवचन श्रृंखला में बड़ी संख्या में श्रावक श्राविकाएं उपस्थित रही।