विराट जनमैदनी के बीच मनाया नमिनाथ प्रभु का जन्म कल्याणक

मुंबई । श्री नमिनाथ जैनसंघ कामाठीपुरा में आचार्य श्री ऋषचद्र सूरीजी के शिष्य वर्षीतप तपस्वी मुनिश्री पीयूषचन्द्र विजयजी श्री रजतचन्द्र विजयजी म.सा का सूरि राजेन्द्र ज्ञानपथ चार्तुमास पर्व-24 ज्ञान ध्यान तपाराधना के साथ धूम-धाम से चल रहा है। श्रावण वदी अष्टमी के शुभ दिन 21 वें तीर्थंकर,संघके मूलनायक प्रभु श्री नमिनाथ दादा का भव्य राज दरबार के साथ 30वर्षो के बाद जन्म कल्याणक महामहोत्सव मनाया गया । हजारों की जनमैदनी से विशाल प्रवचन मंडप भी कम पड़ गया । प्रभुजी का बन्धु बेलडी़ का एवं राजदरबारीयों का मंगल आगमन ठाट -बाट से संगीत सह हुआ । भगवान के माता-पिता इन्द्र इन्द्राणी बुआ-फूफाजी राजज्योतिषि प्रियम्वदा दासी छड़ीदार आदि सभी पात्र अंजनशलाका की तरह प्रभु कत्याणक की प्रस्तुति दे रहे थे । प्रियंवदा ने अपने नृत्य से सभी को आनंदित किया। विशाल धर्मसभा में मुनिश्री रजतचंद्र विजयजी ने कहा प्रभु का कल्याणक जीवों का कल्याण करने वाला है। हमारा प्रभु से रिस्ता निस्वार्थ होना चाहिए। पानी से संबंध मछली का भी है भैंस का भी है, किन्तु मछली का कायमी है भैस का काम चलाउ है। प्रभु से मीन जैसा कायमी रिस्ता होना चाहिए।
स्वार्थ से परे निःस्वार्थ जीवन ही सफल जीवन है। भव्य आयोजन में दो हजार से अधिक जन समुह प्रभु कल्याणक को निहारने आये थे। तपस्वी श्री पीयूषचन्द्र विजयजी ने जन्म की रूपरेखा समझायी । भरत ओसवाल नरेंद्र वाणीगोता ने संगीत प्रस्तुति दी । श्रीसंघ की ओर से संघ स्वामीवात्सल्य रखा गया। आने वाले रविवार 4 अगस्त को आत्मा स्पर्शी शिविर का विराट आयोजन किया गया है।