आचार्य देव श्रीमद् विजय रामचंद्र सुरीश्वर जी म. सा. की 33वीं स्वर्गारोहण तिथि पर दो दिवसीय गुणानुवाद महोत्सव धर्ममय वातावरण में प्रारंभ

रतलाम। परम पूज्य गच्छाधिपति, तपागच्छ के सरताज, आचार्य देव श्रीमद् विजय रामचंद्र सुरीश्वर जी म. सा. की 33वीं स्वर्गारोहण तिथि पर आराधना भवन श्री संघ में परम पूज्य गणिवर्य कल्याण रत्नविजय जी म. सा. की निश्रा में दो दिवसीय गुणानुवाद महोत्सव धर्ममय वातावरण में प्रारंभ हुआ। इस अवसर पर हनुमान रुंडी पर आत्म कल्याणकारी चातुर्मास मंडप में बहुत ही सुंदर सजावट की गई व मुख्य स्टेज एवं आचार्य देव रामचंद्र सुरिश्वर जी म. सा. की तस्वीर को आकर्षक ढंग से सुशोभित किया गया। सर्वप्रथम आचार्य देव का सामूहिक गुरु वंदन किया गया। मोनू जगावत एवं अमृत जैन द्वारा सुंदर गुरु स्तुति प्रस्तुत की गई। परम पूज्य गणिवर्य कल्याण रत्नविजय जी म. सा. के द्वारा मंगलाचरण करने के पश्चात गुणानुवाद प्रारंभ हुआ। आराधना भवन जैन संघ उपाध्यक्ष पप्पू मुंबई वाला, सचिव हिम्मत गेलड़ा, आराधना भवन सेवा समिति के पूर्व अध्यक्ष जयंतीलाल कटारिया, वरिष्ठ श्रावक कांतिलाल बरमेचा एवं चंद्रवीर परिवार के अमृत जैन द्वारा गुणानुवाद करते हुए आचार्य श्री के जीवन काल के विभिन्न गुणों पर प्रकाश डाला गया एवं उनके उपकार का स्मरण सदा मन में रहे और प्रभु आज्ञा अनुसार संयमित जीवन जीए यही उनके उपकारों के प्रति हम सब की सच्ची श्रद्धांजलि होगी। इस अवसर पर गुरु पूजन का लाभ रतनलाल वक्तावरमल पितलिया परिवार ने लिया। परम पूज्य गणिवर्य कल्याण रत्नविजय जी म. सा. ने गुणानुवाद करते हुए फरमाया कि व्याख्यान वाचस्पति, तपागच्छाधिराज, दीक्षा दानेश्वरी श्रीमद् रामचंद्र सुरीश्वर जी म. सा. के जीवन पर गहरा चिंतन करना चाहिए,जिनके 118 शिष्य हुए । जब कर्म विपरीत होता है तब अच्छे-अच्छे लोग विचलित हो जाते हैं। आचार्य देव रामचंद्र सुरीश्वर जी म. सा. के जीवन काल में भी अनेक उपसर्ग आए लेकिन ऐसे समय में उन्होंने अपने आत्मबल को मजबूत कर धर्म से जुड़कर शासन की रक्षा एवं सेवा की। धर्म करना सरल है, लेकिन धर्म को पाना बहुत कठिन है। आचार्य देव ने गुणों की साधना के रास्ते पर चलकर कर्म सत्ता को हराया और धर्म की रक्षा एवं प्रभावना की। इस अवसर पर आराधना भवन महिला गहुली मंडल द्वारा सुंदर गहुली की गई एवं संघ में सामूहिक आयम्बिल एवं 24 तीर्थंकर के एकासना की तपस्या भी संपन्न हुई। मोती पूज्यजी मंदिर, गुजराती मंदिर, टाटानगर जैन मंदिर एवं अलकापुरी जैन मंदिर पर सुंदर अंगरचना भी की गई। इस अवसर पर संघ अध्यक्ष अशोक लुनिया, ट्रस्टी पप्पू मुंबई वाला, हिम्मत गेलड़ा, राकेश सकलेचा, राजेश गांधी, जीवन पितलिया, पारस मूणत, विजय मेहता, विनोद मूणत ,अमृत जैन, संघ के वरिष्ठ कांतिलाल पितलिया, मुकेश गांधी, नरेंद्र घी वाला, अरुण धामनोद वाला, अभिनव गेलड़ा, हरीश गोटा वाला, राजीव गांधी, राजेश- राकेश मेर, शीतल सकलेचा, दीपक कटारिया, गोपाल श्रीमाल, विनोद – विपिन पितलिया, सुमित तलेरा, योगेंद्र जैन, संजय भंडारी श्रेयांश सकलेचा, नरेंद्र बनवट, अविजित सुराना आदि सैंकडों की संख्या में श्रावक श्राविकाएं उपस्थित रही। अंत में संघ के गुरुभक्त आराधकों की तरफ से प्रभावना वितरित की गई।