मौन साधना से आत्मा की शक्ति में अभिवृद्धि होती है – पूज्याश्री प्रियदर्शनाजी म.सा.

रतलाम 03 अगस्त । जिनशासन चंद्रिका, मालव गौरव पूज्याश्री प्रियदर्शनाजी म.सा. (बेरछावाले) एवं तत्वचिन्तिका पूज्याश्री कल्पदर्शनाजी म.सा. श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ नीमचौक पर आयोजित प्रवचन में कहा कि मौन साधना से आत्मा की शक्ति में अभिवृद्धि होती है। अनावश्यक एवं ज्यादा बोलने वाला व्यक्ति कभी भी विश्वस्तरीय एवं लोकप्रिय नही होता है। मितभाषी मधुरभाषी कम बोलने वाला हमेशा सम्मान पाता है, लोकप्रिय होता है।
छमछम बजने वाली पायल पैरों में पहनी जाती है, और डायमंड का हार गले में पहना जाता है। मानव जीवन में जो वाणी का वरदान मिला है उसका उपयोग बहुत सोच समझ कर करना चाहिये। वाणी का वरदान निष्फल हो जाएगा अगर इस वाणी का अनावश्यक उपयोग किया तो।
मौन रहने के कई फायदे है, जिनमें कुछ प्रमुख है-
(1) छोटे बड़े की मर्यादा का पालन हो जाता है, बिना गलती के भी यदि बड़े ने छोटे के ऊपर गुस्सा कर दिया और उस वक्त छोटा मौन रह जाए तो छोटे बड़े की मर्यादा खंडित नही होगी, और बाद में बड़े को अपनी गलती का अहसास अवश्य होगा।
(2) वाद विवाद से बचाव हो जाता है:-संघ समाज परिवार में कई अवसर ऐसे आते है जब वाद विवाद की नौबत आ जाती है ऐसे मुश्किल वक्त में मौन धारण करने से अनावश्यक विवाद से बचा जा सकता है।
(3) असत्य बौलने से बच जाते है:- ज्यादा बोलने वाले हड़बड़ी मैं या बिना सोचे समझे बोलने वाले से अमूमन असत्य भाषा का प्रयोग भी हो जाता है, मौन साधना या कम बोलने से इससे बचा जा सकता है।
(4) आपसी सम्बंध नही बिगड़ते है। (5) राग-द्वेष, क्लेश की परंपरा नही बढ़ती है। (6) वैर विरोध नही होता है (7) पश्चाताप की जरूरत नही पड़ती है, कयोंकि प्राण शरीर से, बाण तीर से, और शब्द जुबान से निकलने के बाद लौट कर नही आते है। (8) क्रोध-कषाय मंद हो जाते है : क्रोध आने पर मौन धारण करने और नवकार का स्मरण करने से दुश्मनी और कषाय से बचा जा सकता है। (9) कर्म बंधन कट जाते है।
भोजन के समय मौन रखकर भोजन करने, भोजन के बारे कोई टीका टिप्पणी नही करने से समभाव से भोजन ग्रहण करने से खाते पीते भी एक उपवास का लाभ मिल जाता है ।
संघ अध्यक्ष ललित पटवा ने बताया कि आचार्य सम्राट आनन्द ऋषि की जन्म जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित साप्ताहिक कार्यक्रमों के अंतर्गत आज मौन साधना , मेमोरी टेस्ट और आनन्द चालीसा पर आधारित प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।
महामन्त्री विनोद बाफना ने बताया की दिनाँक 04 अगस्त रविवार को आचार्य सम्राट आनन्द ऋषिजी मसा के जीवन पर आधारित लघु नाटिका का मंचन नन्हे बच्चों द्वारा किया जाएगा एवं वरिष्ठ श्रावक रूपलाल पंकज जैन परिवार द्वारा सामूहिक एकासन का करवाए जाएंगे। श्रीसंघ प्रवक्ता ने रविवार को अधिक से अधिक संख्या में धर्मसभा में पधारने का निवेदन किया है ।