भले लोग शहर का विश्वास होते हैं – श्री व्यास

युगबोध,जलेसं, जनामं की स्मरण सभा में कहा

रतलाम। भले लोग किसी भी शहर का विश्वास होते हैं । उनके कार्यों से शहर समृद्ध होता है और शहर को नई पहचान भी मिलती है । टेंपटन अंकलेसरिया और मुकेश पांडे शहर की ऐसी शख्सियत रहे , जिन्होंने अपनी रचनात्मकता से इस शहर को बहुत समृद्ध किया ।
उक्त विचार वरिष्ठ रंगकर्मी कैलाश व्यास ने युगबोध, जनवादी लेखक संघ और जननाट्य मंच द्वारा आयोजित स्मरण सभा में व्यक्त किए । यह स्मरण सभा के संस्थापक सदस्य मुकेश पांडे और शहर के समाजसेवी टेंपल अंकलेसरिया की स्मृति में आयोजित की गई थी।
रंगकर्मी डॉ. मनोहर जैन ने कहा कि जीवन कितना बड़ा है यह महत्वपूर्ण है बनिस्बत इसके कि जीवन कितना लंबा है। अंकलेसरिया जी ने रोटरी में आकर अपने व्यवसाय को समृद्ध करने के बजाए अपने व्यवसाय और व्यवहार में रोटरी को अपनाया । यही उनकी कामयाबी का राज है।‌ रंगकर्मी ललित चौरडिया ने कहा कि व्यक्ति अपने कार्यों से सदैव याद किया जाता है । इन शख्सियतों ने रतलाम को इतना कुछ दिया है की रतलाम इनका सदैव ऋणी रहेगा । युगबोध के अध्यक्ष ओम प्रकाश मिश्रा ने इस अवसर पर कहा कि उनमें दूर दृष्टि थी और सहनशीलता भी थी। वे किसी भी कार्य को बहुत सोच समझकर और पूर्ण समर्पण भाव से किया करते थे तभी छोटे-बड़े का भेद भी नहीं करते थे।
वरिष्ठ कवि और अनुवादक प्रो. रतन चौहान ने कहा कि रतलाम में एक समय बहुत अधिक रचनात्मक गतिविधियां हुई लेकिन वह धीरे-धीरे ख़त्म सी हो गई थी। टेंपटन साहब ने ऐसी गतिविधियों को बढ़ाने में सदैव अपना सहयोग प्रदान किया।
पंडित मुस्तफा आरिफ ने पारिवारिक संबंधों का हवाला देते हुए कहा कि व्यक्ति के कर्म ही उसका मान बढ़ाते हैं। इन दोनों हस्तियों ने अपने कार्यों से रचनात्मकता का मान बढ़ाया है। साहित्यकार आशीष दशोत्तर ने कहा कि जीवन में बड़े व्यक्तियों के बड़े बनने में लगे संघर्ष से परिचित होना बहुत ज़रूरी है। ऊंचाइयां सभी को दिखती है मगर उन ऊंचाइयों को पाने के लिए किया गया संघर्ष किसी को नज़र नहीं आता।
उपस्थितजनों रणजीत सिंह राठौर, सिद्दीक़ रतलामी , पद्माकर पागे , प्रकाश मिश्रा, मांगीलाल नगावत , इन्दु सिन्हा, गीता राठौर ने श्री अंकलेसरिया और श्री पांडे के कार्यों का स्मरण किया और सामाजिक उत्थान के लिए उनके द्वारा किए गए प्रयासों को महत्वपूर्ण निरूपित किया।