जीवन में भजन और भोजन दोनों में विवेक रखना बहुत जरूरी है- मालव गौरव पूज्याश्री प्रियदर्शनाजी म.सा.

रतलाम 10 अगस्त । जिनशासन चंद्रिका, मालव गौरव पूज्याश्री प्रियदर्शनाजी म.सा. (बेरछावाले) एवं तत्वचिन्तिका पूज्याश्री कल्पदर्शनाजी म.सा. ने श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ नीमचौक में आयोजित प्रवचन में कहा कि जीवन में भजन और भोजन दोनों में विवेक रखना बहुत जरूरी है । क्या खाना, कितना खाना, किस समय खाना, कैसे खाना ये बहुत महत्वपूर्ण है।
ग्रहणी बहुत ही साफ सफाई के साथ सात्विक भोजन आपके लिए बनाती है । लेकिन आप भोजन के समय एक हाथ मैं मोबाईल, सामने टीवी चल रही है तो आपका ध्यान भोजन के रस पर रहेगा ही नही, जो ऊर्जा शरीर को मिलनी चाहिए वो नही मिलेगी । मोबाईल का जो ये पागलपन है कंही हमें पागलखाने में न पंहुचा देवे । एक वक्त पर केवल एक ही काम करना चाहिए, भोजन के वक्त भोजन, भजन के वक्त भजन, पढ़ाई के वक्त पढ़ाई, व्यापार के समय व्यापार ।
भजन भी एकाग्रचित्त होकर नही करेंगे तो आत्मिक ऊर्जा नही मिलेगी, शान्ति नही मिलेगी। शारीरिक स्तर से उपर उठकर जो आध्यात्मिक जीवन जीता है, उसी का जीवन वास्तविक जीवन जीना है ।
मधुर वाणी दुनिया का सबसे बड़ा वशीकरण मंत्र है । अपशब्द बोलने से पाप का बंध बढ़ता है, और अपशब्द समभाव पूर्वक सहन करने से पाप कर्म कट जाते है । वाणी के दुरुपयोग द्वारा 18 पापों में से 11 पाप हो जाते है । मृशावाद, क्रोध, मान : मान अहंकार किसी का भी टिकता नही है । रावण का भी अहंकार नही टिका जिसके एक लाख बेटे सवा लाख नाती फिर भी न घर में दिया न बाती । जो अहंकार के वशीभूत होकर जितना उछलता है, अहंकारी भाषा का उपयोग करता है वह पाप कर्म का बंध कर लेता है और एक दिन ऐसा भी आता है जब वो धड़ाम से नीचे की और आता है ।
राग : राग और प्रेम में जमीन आसमान का अंतर है । प्रेम में गुणवान व्यक्ति के प्रति अहोभाव होता है और जिसके प्रति राग हो तो भले ही गलत भी हो कुसंस्कारी हो, व्यसनी हो रागवश हम उसका पक्ष लेते है और वाणी से पाप का बंध कर लेते है ।
संघ प्रवक्ता ने बताया की 11 अगस्त 2024 रविवार को बच्चो और लड़कियो के लिए गौचरी दया का कार्यक्रम रखा गया है । अधिक से अधिक संख्या में बच्चे और लड़किया इसमें में भाग लेंगे । जिसमें बच्चे एक दिन के लिए साधू जीवन का अनुभव लेंगे।