रतलाम । श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ नीमचौक रतलाम पर आयोजित प्रवचन में सुश्रावक-सुश्राविकाओं को सम्बोधित करते हुए जिनशासन चंद्रिका, मालव गौरव पूज्याश्री प्रियदर्शनाजी म.सा. (बेरछावाले) एवं तत्वचिन्तिका पूज्याश्री कल्पदर्शनाजी म.सा. ने कहा कि –
सीख उसी को दीजिये जा को सीख सुहाए
सीख न दीजे वानरा, घर बया को जाए ।
किसी को ज्ञान देने के पहले, सलाह देने के पहले अच्छी तरह से सोच विचार कर लेना चाहिए की जिसे सलाह सीख या ज्ञान दे रहे है वो इस योग्य है भी या नही ।
नही तो उस बया पक्षी और बंदर जैसा हाल हो जाएगा जिसमें बया बंदर से कहती है की मैं तो कितनी छोटी हूं, फिर भी अपनी चौंच के द्वारा
तिनका-तिनका जोड़कर अपने लिए घोंसला बना लेती हूं और जिसकी वजह से मैं ठंड गर्मी और बरसात सबसे बच जाती हूं, और अपने घोंसले में आराम से रहती हूं। तुम तो मुझसे काफी बड़े हो तुम्हारे तो हाथ पैर भी है तुम अपने लिए घर क्यों नही बना लेते हो, इससे तुम्हे बहुत सुविधा हो जाएगी ।
बया ने बंदर को यह सलाह सुझाव बंदर के हित के लिए ही दिया था। लेकिन बंदर तो बंदर ठहरा उसे बया की बात पर क्रोध आ गया उसे लगा ये होती कौन है मुझे सलाह देने वाली और गुस्से में आकर वो बया का घोंसला तोड़ देता है ।
इस प्रकार अज्ञानी और अहंकारी बंदर को सलाह देना बया को महंगा पड़ गया और खुद का घोंसला टूट गया ।
इसलिये ज्ञानी जन कहते है योग्य और पात्र को ही ज्ञान/सलाह देना चाहिए ।
कोई कहता है जलेबी सबसे मीठी और रसीली है, कोई गुलाब जामुन, मालपुआ, रबड़ी, लड्डू, पेड़ा सब अपने अपने हिसाब से अपनी अपनी पसंद से मिठाईयों को श्रेष्ठ बताते है ज्ञानीजन कहते है मधुर वाणी सबसे श्रेष्ठ है। किसी को बढिय़ा बढिय़ा पकवान खिला दो और उसके बाद उसका अपमान कर दो तो सारे पकवान बेस्वाद लगने लगेंगे। और मीठी वाणी के साथ किसी को सादा भोजन भी करवाएंगे तो वह अमृत तुल्य होता है।
महापुरुषों ने वाणी के द्वारा कुछ वशीकरण मंत्र बताए है जिसमें एक शब्द का मंत्र है हम (हर जगह मैं मैं नही करते हुए हम कहना सबको साथ लेकर चलना ।
(2) शब्द का मंत्र है आभारी हूं (हमेशा धन्यवाद ज्ञापित करना)
(3) शब्द का मंत्र है कृपया इतना करोगे (हमेशा किसी से कोई कार्य करवाना हो तो विनम्रता पूर्वक आग्रह करके निवेदन करना)
(4) शब्द का मंत्र है आपका क्या विचार है (घर परिवार संघ समाज में छोटा हो या बड़ा सबकी सलाह लेना उनसे उनके विचार पूछना कभी कभी छोटे भी बढिय़ा विचार और सुझाव दे सकते है)
धर्मसभा में मासक्षण तपस्वी सुश्राविका श्रीमती हीरामनी दख के माशक्षमण पूर्ण होने पर श्रीसंघ की और से बहुमान किया गया ।
इस अवसर पर संघ अध्यक्ष ललित पटवा, महामंत्री विनोद बाफना, कोषाध्यक्ष अमृत कटारिया, इन्दरमल जैन, महेंद्र बोथरा,प्रेम कुमार जैन मोगरा, अजय खमेसरा, विजय कटारिया, गुणवंत मालवी, प्रदीप पोखरना, ललित कटारिया, मनीष भटेवरा, पारस मेहता, अभय गाँधी, राजकुमारी पोखरना, आरती मण्डलेचा आदि समाजजन उपस्थित थे।