आचार्य हेमेन्द्रसूरीश्वरजी का 14वां पुण्योत्सव मनाया

जावरा (अभय सुराणा) । परमपूज्य मुनिराज चन्द्रयशविजयजी मुनिराज जिनभद्रविजयजी म.सा. की पावन निश्रा में तीन दिवसीय पुण्योत्सव के अंतर्गत प्रथम दिवस भक्ताम्बर महापूजन जैन मंदिर पीपली बाजार पर आयोजित किया गया। लाभार्थी संघ माता रोशनबाई जीतमल लुक्कड परिवार, द्वितीय दिवस पर गायों का विशाल स्वामी वात्सल्य जैन मंदिर पीपली बाजार से मुनिराज के साथ श्रीसंघ के श्रावक-श्राविकाएं गाजते बजाते जीवदया सोसायटी खाचरौद रोड पर पहुंचे। वहां पर गायों को विभिन्न प्रकार का आहार करवाया गया। लाभार्थी त्रिस्तुतिक युवा संघ परिवार, दोपहर में श्री राजेन्द्रसूरि गुरूपद महापूजन जैन मंदिर पर पढाई गई। लाभार्थी बाबूलाल, स्व.भंवरलाल, स्व.अनोखीलाल, वीरेन्द्र, मुकेश, सुनील खेमसरा परिवार, तृतीय दिवस प्रातः 9 बजे गुरू गुणानुवाद सभा दोपहर में मंदिरजी पर श्री हेमेन्द्रसूरि अष्टप्रकारी पूजन लाभार्थी डा.अशोककुमार, सौरभ, समर्थ मण्डलेचा परिवार गुणानुवाद सभा में मोहनखेडा तीर्थ के ट्रस्टी पूर्व राज्य सभा सदस्य मेघराजजी जैन, सुजानमल सेठ, बाबुलालजी खेमसरा, नाकोडा तीर्थ के ट्रस्टी रमेषजी वर्धन, संजय वाणीगोता, संतोषलाल रतलाम, रमेश वाणीगोता भीनमाल, सुनील कोठारी नागदा, अभय धारीवाल झाबुआ, जावरा श्रीसंघ के अशोक लुक्कड, धरमचन्द चपडोद, आनंदीलाल संघवी, प्रकाश चैरडिया, राजेश बरमेचा के साथ ही अन्य वक्ताओं ने सभा में सहजता के धनी गुरूदेव के प्रति अपनी सच्ची आस्था से ओत-प्रोत अपने विचार व्यक्त किए। निश्चित रूप से गुरूदेव के बारे में कहा जाता है कि शरीर में कोई सुन्दरता नहीं होती, सुन्दर होते हैं व्यक्ति के कर्म और उनके विचार, उनकी वाणी, उनका व्यवहार, उनके संस्कार और उनका चरित्र। उनके जीवन में यह सब कुछ था बहुत ही सरल, स्वभाव की प्रतिमूर्ति थे। छोटे से बालक हितांश ओरा ने भी गुरूदेव के प्रति सरलता, सौम्यता, चारित्र पालक जैसे महान गुणों पर आधारित अपनी सुन्दर कविता की प्रस्तुति दी। गुरूदेव के प्रति आस्था में सामूहिक 150 से अधिक आयम्बिल तप की आराधना व सामायिक का आयोजन भी हुआ। सभा में बाहर से एवं जावरा श्रीसंघ के श्रावक श्राविकाएं बडी संख्या में उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन अर्पित चत्तर एडवोकेट ने किया। उक्त जानकारी प्रचार प्रसार संयोजक शिखर धारीवाल व वीरेन्द्र सेठिया ने दी।

jawra (abhay surana)