जो ब्रह्म मुहूर्त में उठकर साधना-आराधना करता है वह कभी दुखी नहीं होता – साध्वी श्री अनंत गुणा श्री जी म.सा.

रतलाम 27 अगस्त । सौ.वृ.त. श्री राजेंद्र सूरि त्रिस्तुतिक जैन श्वेतांबर श्री संघ एवं चातुर्मास समिति द्वारा नीम वाला उपाश्रय खेरादी वास में रतलाम नंदन प. पू .श्री 1008 जैन मंदिर के प्रेरणादाता, राष्ट्र संत कोकण केसरी गच्छाधिपति आचार्य देवेश श्रीमद् विजय लेखेन्द्र सुरिश्वर जी म.सा. की आज्ञानुवर्ती एवं मालवमणि पूज्य साध्वी जी श्री स्वयं प्रभाश्री जी म.सा. की सुशिष्य रतलाम कुल दीपिका शासन ज्योति साध्वी जी श्री अनंत गुणा श्रीजी म.सा,श्री अक्षयगुणा श्रीजी म.सा. श्री समकित गुणा श्री जी म.सा. श्री भावित गुणा श्री जी म.सा. उपासना में विराजे हैं जिनका चातुर्मास में नित्य प्रवचन चल रहे हैं । इसी तारतम्य में आज मंगलवार को साध्वी श्रीपरम पूज्य साध्वी श्री अनंत गुणा श्री जी मसा ने अपने व्याख्यान में कहा कि आप लोगो से मेहनत नहीं होती इस कारण घर में बीमारियां हो गई है दवाइयां का घर हो गया है। ऐसा कोई घर नहीं जिसमें दवाइयां नहीं खाई जा रही हो। आज के युग में तो हर काम के लिए नौकर,नौकरानी हो गई है। ज्ञानी जन कहते हैं व्यक्ति को बोलना ही पड़ता है और शांति से जीवन जीना ही पड़ता है आराधना साधना करना है तो ब्रह्म मुहूर्त में उठना है।जो ब्रह्म मुहूर्त में उठता है वह कभी दुखी नहीं होता और आप लोग 7:00 बजे उठते हो 9:00 बजे पहले कोई ऐसा भी कार्य नहीं होता है। आप लोगों को अगर साधना करनी है आराधना करनी है तो आपको 5:00 बजे उठाना ही होगा और जाप करते हो या सामायिक करते हो तो उसका प्रभाव जीवन में मिलता है। सबसे पहला प्रभाव यह पड़ता है कि मन स्थिर हो जाता है शांत हो जाता है। और अगर सुबह जल्दी नहीं उठाते हो सामायिक, जाप या भगवान के नाम का स्मरण नहीं करते हो तो मन में डर सा हमेशा बना रहता है। और आप लोग पैसे पैसे करते हो और सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर आराधना नहीं करते हो तो धन कहां से आएगा। लक्ष्मी रोज तुम्हारे घर आती है परंतु तुमको स्वागत करते नहीं आता है। पुण्य शाली व्यक्ति जहां भी पैर रखते हैं वहां लीला लहर हो जाती है शरीर तो नाशवान है कभी भी कुछ भी हो सकता है। आज ही सुनने में आया था कि एक लड़का मटकी उतारने गया मटकी उतरी और दोस्तों के बीच में डांस किया घर आया और 2:00 उसका हार्ट फेल हो गया,मौत हो गई।यह शरीर भी मशीन की तरह है इसको चलते रहना पड़ेगा इसको नहीं चलाओगे तो यह जाम हो जाएगी। टू व्हीलर और फोर व्हीलर का मेंटेनेंस हो सकता है परंतु शरीर का मेंटेनेंस बहुत मुश्किल होता है। उक्त बात मंगल प्रवचन में कहीं। साध्वी श्री समकित गुणा श्री जी ने अपने प्रवचन में शांत सुधा रस ग्रंथ में उपाध्याय विनय विजय जी मसा ने लिखा कि परमात्मा महावीर की एक साधिका थी और उसके दोनों बच्चे तालाब के पास खेलते खेलते मृत्यु हो गई। वहां पर जो लोग थे उन्होंने लाकर शरीर को घर में रख दिया और जब साधिका आई तो उसने देखा कि मेरे पति को बहुत बड़ा सदमा लगेगा वे महिला भगवान महावीर के ज्ञान को अपने आचरण में लाई।उसने अपने पति को कहा कि जिसका जन्म हुआ है उसकी मृत्यु निश्चित है वह चाहे बड़ा हो, छोटा हो, काला हो,गोरा होयह शरीर है यह मिट्टी से मिट्टी में मिल जाना है आज किसी का आज किसी का कल और किसी का परसों मृत्यु सनातन सत्य है जीवन में सुख और दुख दोनों ही आते हैं परंतु मनुष्य जीवन में लक्ष्य निर्धारित करना है कि हमें भव पर करना है नहीं तो अन्य गतियां में रह जाएंगे फिर जन्म लेना पड़ेगा और फिर दहे छोड़नी पड़ेगी यह क्रम चलता ही रहेगा जब तक मोक्ष प्राप्त नहीं हो जाता है। शरीर को पकड़कर रोने लग जाए तो कुछ होने वाला नहीं है आपको शाश्वत पर विश्वास करना पड़ेगा शाश्वत सिर्फ भगवान है उसके अलावा कुछ भी नहीं है बाकी जो भी चीज दिखाई देती है वह सब और शाश्वत है। सौ. वृ.त. त्रीस्तुतिक जैन श्री संघ एवं राज अनंत चातुर्मास समिति, रतलाम के तत्वाधान में बड़ी संख्या में श्रावक एवं श्राविकाए उपस्थित थी।