खुशनसीब है वो जिनके आंगन में है बेटी,जगत की तमाम खुशियों की जननी है बेटी-समकितमुनिजी

  • असीम दुलार का हकदार है बेटी ओर समझो तो भगवान का आशीर्वाद है बेटी
  • पापा की परी विषय पर चार दिवसीय विशेष प्रवचनमाला का पहला दिन

हैदराबाद 28 अगस्त। संतान के भाग्य में पिता होता है पर हर पिता के भाग्य में बेटी नहीं होती। खुशनसीब है वो जिनके आंगन में है बेटी,जगत की तमाम खुशियों की जननी है बेटी। पूरे घर की खुशियों की जान होती है बेटी,हर घर का स्वाभिमान होती है बेटी। बेटी से आबाद है घर परिवार, पिता का विश्वास होती है बेटियां। परिवार में खुशियों के रंग बिखरेती व फूल खिलाती है बेटियां। जब-जब जन्म लेती है खुशियां साथ लाती है बेटियां,लाख गुलाब लगा लो आंगन में जीवन में खुश्बू तो बेटी के आने से ही आती है। ये विचार बुधवार को श्रमण संघीय सलाहकार राजर्षि भीष्म पितामह पूज्य सुमतिप्रकाशजी म.सा. के ़सुशिष्य आगमज्ञाता, प्रज्ञामहर्षि पूज्य डॉ. समकितमुनिजी म.सा. ने ग्रेटर हैदराबाद संघ (काचीगुड़ा) के तत्वावधान में श्री पूनमचंद गांधी जैन स्थानक में बेटियों के महत्व पर चार दिवसीय विशेष प्रवचनमाला ‘’पापा की परी’’ का आगाज करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि पिता बेटे से ज्यादा बेटी के नजदीक होता है। मां अपनी भावना आंसू व शब्दों से बता सकती है पर पिता उन भावनाओं को छुपाकर रखता है। मां अपनी संतान को अमृत पिलाती है लेकिन बच्चों का ‘जहर’ पीने वाला सिर्फ पिता होता है। पिता संतान के लिए जो करता है वह शायद मां भी नहीं कर पाती है। बेटा-बेटी के सपने पूरे करने के लिए वह जी जान लगा देता है। बेटी का जन्म होते ही पिता उसके सुनहरे भविष्य के लिए बचत करना शुरू कर देता है। मुनिश्री ने कहा कि बेटी जीवन का संगीत भी है तो संस्कृति भी है। बेटी जिदंगी का भार नहीं बल्कि इस जीवन का आधार है। बेटी के साथ पिता का सफर छोटा होता है फिर भी बेटियां उनका असीम दुलार पाने में सफल हो जाती है। असीम दुलार का हकदार है बेटी ओर समझे तो भगवान का आशीर्वाद होती है बेटी।
सुसंस्कारों की बिजली गुल तो कुसंस्कारों का मीटर शुरू हो जाता
प्रज्ञामहर्षि डॉ. समकितमुनिजी म.सा. ने बच्चों को संस्कारवान बनाने में मां की भूमिका पर चर्चा करते हुए कहा कि बेटियों को सही रखना है तो मां को भी सही रहना होगा। बेटी को संस्कारवान बनाने के लिए मां को भी संस्कारवान बनना होगा। जिंदगी के अंदर जब सुसंस्कारों की बिजली गुल हो जाती है तो बुरी आदतों या कुसंस्कारों का मीटर शुरू हो जाता है। सुसंस्कारों का सूर्य अस्त होकर कुसंस्कारों का अंधेरा छाता है तो फिर कोई लाइट रोशनी नहीं कर सकती है। उन्होंने कहा कि माता-पिता चाहे कितने भी व्यस्त क्यों न हो पर परिवार के लिए समय अवश्य निकाले ओर कभी परिवार में सुसंस्कारों की बिजली गुल नहीं होने दे। एक बार सुसंस्कार खत्म हो गए तो पूरी जिंदगी उसका नुकसान उठाना पड़ता है।
दया तप के साथ शुरू होगी पर्युषण पर्व की आराधना
समकितमुनिजी ने बताया कि पर्वाधिराज पर्युषण पर्व की आराधना एक से आठ सितम्बर तक होगी। पर्युषण के पहले दिन सामूहिक दया तप की आराधना होगी। उन्होंने कहा कि दया व्रत करने वाले प्रत्येक श्रावक-श्राविका को कम से कम सात सामायिक करने के साथ ज्यादा जितनी हो सके करने की भावना रखनी है। पर्युषण पर्व के दौरान प्रवचन का समय सुबह 8.30 से 10.30 बजे तक रहेगा। इस प्रवचन के शुरू में गायनकुशल जयवन्तमुनिजी म.सा. ने भजन ‘‘सद्गुरू परमात्मा हमको तू ल ेचल वहां’’ की प्रस्तुति दी। प्रेरणाकुशल भवान्तमुनिजी म.सा.का भी सानिध्य प्राप्त हुआ। प्रवचन में श्रावक-श्राविकाओं ने उपवास, आयम्बिल,एकासन आदि तप के प्रत्याख्यान भी लिए। नंदुरबार, मैसूर, चैन्नई आदि स्थानों से आए श्रावक-श्राविकाएं भी धर्मसभा में मौजूद थे। अतिथियों का स्वागत ग्रेटर हैदराबाद श्रीसंघ द्वारा किया गया। धर्मसभा का संचालन श्रीसंघ के महामंत्री सज्जनराज गांधी ने किया।