संस्कारों के माध्यम से ही चरित्र का निर्माण होता है जो सर्वोपरि धन है – राष्ट्र संत कमल मुनि जी कमलेश

जन्माष्टमी की पावन प्रसंग पर फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता का आयोजन किया गया

मुंबई/भायंदर (ओस्तवाल बगीची समता भवन) 28 अगस्त । आध्यात्मिक संस्कृति की रक्षा, धर्म, आत्मा-परमात्मा की रक्षा से बढ़कर है। उक्त विचार राष्ट्र संत कमल मुनि जी कमलेश ने कृष्ण जन्माष्टमी पर संबोधित करते कहा कि संस्कृति के अभाव में तीन लोग की संपत्ति दान देकर भी संस्कारों का निर्माण नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि संस्कृति के माध्यम से ही आने वाली पीढ़ी में संस्कारों का बीजारोपण होता है जो जन्म-जन्मांतर तक आत्मा के साथ रहते हैं।
मुनि कमलेश ने बताया कि संस्कारों के माध्यम से ही चरित्र का निर्माण होता है जो सर्वोपरि धन है. चरित्र नहीं तो जीवन में कुछ नहीं। उसकी बर्बादी को दुनिया की कोई ताकत नहीं रोक सकती।
राष्ट्र संत ने बताया कि भौतिकवाद में हम जैसे संतों का निर्माण होना यह किसी चमत्कार से काम नहीं है इसका सारा श्रेय संस्कृति को जाता है।
जैन संत ने स्पष्ट कहा कि आध्यात्मिक संस्कृति के माध्यम से ही भारत ने विश्व गुरु की गरिमा के पद को सुशोभित किया और करता रहेगा। जन्माष्टमी की पावन प्रसंग पर फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें मनमोहक आकर्षक अंदाज में राधा कृष्ण सुदामा यशोदा परशुराम और देशभक्ति के रूप में प्रस्तुति सबको भाव विभोर कर दिया। प्रथम, द्वितीय, तृतीय विजेताओं को एवं सम प्रतियोगिता में भाग लेने वाली को पुरस्कार दिया। घनश्याम मुनि जी, कौशल मुनि जी ने भी अपने विचार व्यक्त किये।