रतलाम । आचार्य श्री रामलालजी मसा उपाध्याय प्रवर राजेशमुनिजी मसा के महती कृपा से चल रहे चातुर्मास में शासन दीपक हेमंत मुनि जी मसा ने पर्युषण महापर्व के दूसरे दिन छोटूभाई की बगीची पर प्रवचन में फरमाया कि मान्यता बदलोगे तो मन्नते बदलेगी अर्थात मान्यता दृष्टि का खेल है जिसकी जैसी दृष्टि होगी उसके वैसे विचार बनेंगे, वैसे ही उसकी मान्यता बढ़ेगी ।एक ही वस्तु को अलग-अलग दृष्टि से देखा जा सकता है । उस वस्तु में किसी को गुण नजर आएगा किसी को अवगुण। हमें इसलिए गलत मान्यताओं से बाहर आकर सभी भ्रांतियो को मस्तिष्क से निकाल के सत्य का मार्ग चुनना होगा। संत मुनियों की पहचान ही वही होती है जो सत्य है वह मेरा है परंतु अमुनी अगुणी की पहचान होती है जो मेरा है वही सत्य है हम छोटे बच्चों को भी जो बचपन से सिखाएंगे समझाएंगे जो दिखाएंगे उसके लिए वही मान्यता हो जाएगी। उसी पर आधारित वह मन्नत मांगने लगेगा अच्छा दृष्टिवान होना भी एक साधन है , कला है । हमें इसे अपना कर अपने जीवन में गुणों की वृद्धि करनी चाहिए कि हम जो भी देखें अच्छा देखें अच्छा सोचें भ्रांतियां ना पाले और दूसरों को भी अच्छा दिखाएं यही हमारा कर्तव्य है ।
इसी अवसर पर लाघव मुनिजी ने फरमाया कि अपने अंदर के मातृत्व को जगाएं और अपने संतान को कल्याण मार्ग पर ले जाएं अभी की चकाचोंद से दूर रखें तो ही उसका कल्याण होगा। ब्रम्हऋषिजी मसा ने फरमाया कि जो लोग लोभ के कारण इधर-उधर भटकने वाले होते है वे कभी भी तीर नहीं सकते ।
शासन दीपिका शकुंतला जी मसा ने फरमाया कि आत्म चिंतन करें तभी हम हमारे कर्म पटल पर विजय प्राप्त कर सकेंगे महापुरुषों की वाणी व चरित्र से सीख कर हम अपनी आत्मा का कल्याण करें ।
उपरोक्त जानकारी देते हुए संघ के प्रीतेश गादिया ने बताया कि प्रवचन में संघ अध्यक्ष श्री कांतिलाल छाजेड़ ने अपने भाव रखें संचालन अशोक पिरोदिया ने किया व दोपहर के समय बालिका मंडल द्वारा सुंदर टैलेंट हंट की प्रतियोगिता रखी गई । जिसमें कई बच्चों ने भाग लिया । इसके अतिरिक्त धार्मिक परीक्षा में भी कई श्रावक-श्राविकाओं ने भाग लिया।