रतलाम । माधव सेवा न्यास द्वारा पिछले पांच वर्ष से सैलाना, बाजना, रावटी के 50 गांव से अधिक गांवों 120 वनवासी जनजाति परिवारो को उज्जैन महाकाल यात्रा के लिए ले जाया जाता है । उसी तारतम्य में इस वर्ष भी उज्जैन के सभी तीर्थ के दर्शन महाकाल व महाकाल लोक कारीडोर आदि के भ्रमण का आयोजन किया गया है ।
यह यात्रा रतलाम जिले के वनवासी अंचलों से शुरू होकर रतलाम जिले के बाजनखेड़ा में यात्रा को विश्राम दिया गया । बाजन खेड़ा ग्रामवासियों द्वारा तीर्थ यात्रियों का स्वागत कर बाजनखेड़ा निवासी वरिष्ठ समाजसेवी मोहनलाल मुरली वाला परिवार द्वारा सभी तीर्थ यात्रियों को सहभोज दिया गया । गांव भ्रमण के पश्चात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के रतलाम विभाग प्रचारक कृष्णकांत पांडे द्वारा यात्रियों से संवाद किया गया।
आपने बताया कि दशरथनंदन श्रीराम का मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम में रूपांतरण 14 वर्ष के वनवास के समय में ही हुआ था। इन वर्षों में श्रीराम महलों या शहरों में नहीं रहें अपितु वनों में मूल निवासियों के साथ वनवासियों आदिवासियों के साथ रहें। निषादराज से मित्रता, केवट से आत्मीयता और शबरी के आतिथ्य जैसे प्रसंग भगवान श्रीराम की सामाजिक समरसता और आदिवासियों के सनातन संस्कृति में स्थान को बताता है।
सामुहिक तीर्थाटन का महत्व सनातन संस्कृति में सामाजिक समरसता और संगठन शक्ति का प्रतीक माना गया है। वनवासियों और ग्रामीणजनों द्वारा एक दल बनाकर सामूहिकता के साथ भ्रमण, तीर्थाटन से लेकर अन्य महत्वपूर्ण कार्यों को पूर्ण किया जाता रहा है। उज्जैन का यह प्रवास आपसी आत्मीयता की वृद्धि के साथ सांस्कृतिक जागरण का भी लक्ष्य प्राप्त करेगा। इस अवसर पर खंड संघ चालक भांजीलाल का उडबोधन हुआ । कार्यक्रम का संचालन विजेंद्र जी चौहान द्वारा किया है । यात्रा के मधुर स्मृति में एक त्रिवेणी का रोपण यात्रा शुभारंभ के अवसर पर किया गया ।
इस अवसर पर प्रदीप जी पांडे उज्जैन, सामाजिक कार्यकर्ता अशोक पाटीदार, राकेश पाटीदार राजेंद्र जी जाट सालाखेड़ी तथा मध्य प्रदेश जन अभियान परिषद जिला समन्वयक श्री रत्नेश विजयवर्गीय श्री महावीर दास बैरागी, खुशी एक पल संस्था श्री अमन माहेश्वरी, श्री भूपेंद्र गहलोत, सृष्टि समाज सेवी संस्था के श्री सतीश टांक, गायत्री परिवार से विवेक चौधरी, लालाशंकर पाटीदार, कमलेश मेहता आदि उपस्थित थे।