रतलाम। श्रीकृष्ण कामधेनु गौशाला में गोपाष्टमी और अक्षय नवमी का पर्व परम्परागत उत्सव के साथ मनाया गया। गौशाला में विधिविधान से गौमाता का पूजन-वन्दन करते हुए चरणरज को ललाट पर धारण कर गौसंवर्धन व संरक्षण का संकल्प लिया गया। अक्षय नवमी पर आंवले के वृक्ष का पूजन व परिक्रमा करते हुए सर्वआरोग्य की कामना की गई।
सेवा समिति द्वारा गौशाला में प्रात:काल गायों को स्नान कराके गंध-पुष्पादि से उनका पूजन कर गोग्रास देकर उनकी परिक्रमा की गई। सायंकाल जब गायें चरकर लोटी उस समय उनका आतिथ्य, अभिवादन और पंचोपचार-पूजन करके उन्हें मिष्ठान आदि खिलाते हुए उनकी चरणरज ललाट पर लगाई गई। इसी क्रम में आंवले के वृक्ष का पूजन और परिक्रमा करते हुए जप-तप कर दान पुण्य किया गया।
इस अवसर पर साध्वी श्री लीना बहन ने बताया कि सर्वदेवमयी गौ माता धरती की सबसे बड़ी वैद्यराज है। भारतीय संस्कृति में गौमाता की सेवा सबसे उत्तम सेवा मानी गयी है, श्री कृष्ण गौ सेवा को सर्व प्रिय मानते हैं। शुद्ध भारतीय नस्ल की गाय की रीढ़ में सूर्यकेतु नाम की एक विशेष नाढ़ी होती है जब इस नाढ़ी पर सूर्य की किरणे पड़ती हैं तो स्वर्ण के सूक्ष्म कणों का निर्माण करती हैं , इसीलिए गाय के दूध, मक्खन और घी में पीलापन रहता है, यही पीलापन अमृत कहलाता है और मानव शरीर में उपस्थित विष को बेअसर करता है l
आपने कहा कि गाय को सहलाने वाले के कई असाध्य रोग मिट जाते हैं क्योंकि गाय के रोमकोपों से सतत एक विशेष ऊर्जा निकलती हैl गौमूत्र एवं गोझारण के फायदे तो अनंत हैं, इसके सेवन से केंसर व् मधुमय के कीटाणु नष्ट होते हैंl सत्पुरुषो का कहना है की गाय की सेवा करने से गाय का नहीं बल्कि सेवा करने वालो का भला होता हैl
उन्होंने आंवला नवमी के महत्व को बतलाते हुए कहा कि आंवले के वृक्ष में सभी देवताओं का निवास होता है तथा यह फल भगवान विष्णु को भी अति प्रिय है। ऐसी मान्यता है कि कार्तिक शुक्ल नवमी तिथि को आंवले के पेड़ से अमृत की बूंदे गिरती है और यदि इस पेड़ के नीचे व्यक्ति भोजन करता है तो भोजन में अमृत के अंश आ जाता है। जिसके प्रभाव से मनुष्य रोगमुक्त होकर दीर्घायु बनता है।
कार्यक्रम में समिति अध्यक्ष रूपेश साल्वी, उपाध्यक्ष प्रेम प्रकाश बाथव,कोषाध्यक्ष शंकर मुलेवा
सचिव सुदामा मिश्रा व्यवस्थापक शिवा भाई सोनटके,प्रवीण भाई ,महिला उत्थान मंडल की भारती बहन, शांता बहन सांकला, सविता साल्वी, मनोरमा शर्मा, प्रियंका गहलोत आदि उपस्थित रहे।
पूजन पंडित मनोज मिश्रा एवं सच्चिदानंद जी ने करवाया जबकि कार्यक्रम का संचालन रविन्द्र सिंह जादौन ने किया।