जावरा के इतिहास में पहली बार तपस्याओं का मेला लग गया

240 सिद्धितप आराधकों का भव्यातिभव्य विजय तिलक पारणा महोत्सव सम्पन्न

जावरा । 240 सिद्धिदायक सिद्धितप आराधक, 170 से अधिक 28 तप आराधक, 100 से ऊपर नमस्कार महामंत्र एकासान आराधक, साथ ही वर्षितप आयांबील तप के साथ अन्य तपस्या में भी चल रही है । ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे हर कोई तपस्या में लीन होकर अपने जीवन में पुण्योदय का लाभ ले रहा है । सामान्य व्यक्ति कम हो गए और तपस्वी रत्न ज्यादा हो गए।
खाचरौद नाका स्थित डॉ.कैलाशनाथ काटजू कृषि उपज मण्डी के विशाल प्रांगण में मुनिराज चन्द्रयशविजयजी, मुनिराज जिनभद्रविजयजी की शुभ पावनकारी निश्रा में मध्यप्रदेश के इतिहास में पहली बार 240 सिद्धिदायक सिद्धितप आराधकों का विजय तिलक पारणा महोत्सव ऐतिहासिक रूप से आयोजित किया गया। प्रात: 8.30 बजे क्रियोद्धार भूमि श्री राजेन्द्रसूरि जैन दादावाडी से ऐतिहासिक वरघोडा आरंभ हुआ। वरघोडा को केसरिया ध्वज से हरी झंडी दिखाने का लाभ पंकजकुमार पदमा जैन पुत्र श्रेयांस कुमार परिवार ने लिया। पारणा का लाभ संदीपकुमार कालुरामजी लुक्कड परिवार ने लिया।

जावरा के इतिहास में पहली बार इतना बड़ा विशाल वरघोड़ा

राजसी ठाठ के साथ विशाल भव्य वरघोड़े में जैन ध्वज, अरिहंत प्रभु का रथ, 80 बगिया विशेष सजावट के साथ, हर बग्गी पर ढोल व्यवस्था, तीन स्पेशल हाथी, 6 घोड़े, जावरा सहित हिम्मतनगर के पांच बैंड, अनुकंपा दान गाड़ी, हर बग्गी पर शासन सेवक की विशेष टीम, मुनिराज के साथ बड़ी संख्या में श्रावक व पीछे श्रावीकाएं चल रही थी । वरघोड़ा राजेंद्र सूरी दादावाड़ी से प्रारंभ होकर जावरा नगर के प्रमुख मार्गो से होता हुआ कृषि उपज मंडी खाचरोद नाका पर पहुंचा।
श्रीसंघ अध्यक्ष उद्बोधन त्रिस्तुतिक श्री संघ जावरा के अध्यक्ष अशोक जी लुक्कड़ ने अपने उद्बोधन में कहा परम पूज्य मुनिराज श्री चंद्रयशविजय जी म.सा., मुनिराज जिनभद्रविजय जी म.सा. की पावनकारी निश्रा में क्रियोद्धार भूमि, धर्ममय नगरी जावरा की धन्य धरा पर ऐतिहासिक आत्म शुद्धि चातुर्मास चल रहा है। गंगा रूपी धर्म की पंक्ति धारा बह रही है । जिसमें अपनी आत्मा का कल्याण करने का लाभ जावरा जैन समाज को मिल रहा है । मेरा समस्त समाजजन से यही निवेदन है कि बहती हुई इस धर्म की आराधना में मुनि श्री के प्रवचनों व धर्म क्रियायो का अधिक से अधिक लाभ लेकर अपने जीवन में पुण्य अर्जित करें।

चातुर्मास समिति अध्यक्ष ने कहा
चातुर्मास अध्यक्ष धर्मचंद चपड़ोद ने बताया सर्वप्रथम तो में श्री संघ का आभारी हूं कि मुझे चातुर्मास समिति के अध्यक्ष पद का दायित्व सोपा, मैने मेरे जीवनकाल में तपस्याओं का व धर्म आराधनाओं के ऐसे ठाट का भव्य चातुर्मास कभी नहीं देखा । जावरा श्री संघ का परम सौभाग्य है कि हमें ऐसे मुनिराज का चातुर्मास करवाने का लाभ प्राप्त हुआ । निश्चित रूप से मुनिश्री की वाणी में सरस्वती का वास और परमात्मा की असीम कृपा है जो मुनिराज बोलते हैं वह सिद्ध हो जाता है । जो धार्मिक माहौल खुली आंखों से दिख रहा है वह सपने जैसा लग रहा है श्री संघ व चातुर्मास समिति के प्रत्येक सदस्य का में हृदय से आभारी हूं जिनके अथक प्रयासों व सहयोग से ही यह विशाल भव्य आयोजन संपन्न हो सका ।

मीडिया प्रभारी शिखर धारीवाल व वीरेंद्र सेठिया ने बताया
8 व 9 सितंबर के विजय तिलक समारोह पारणा महोत्सव की तैयारी पिछले एक माह से व्यापक स्तर से चल रही थी, हर कार्य की अलग-अलग समितियां बनाई गई थी, सभी सदस्यों ने अपने सौंपे गए कार्य को बहुत ही सहज रूप से आयोजित किया । कहने को तो जावरा जैन समाज संख्या में बहुत छोटा है लेकिन सामाजिक कार्यों में हर व्यक्ति सेवा कार्य करने में पीछे नहीं रहता, इसी बात का प्रतीक है कि यहां बड़े से बड़ा कार्य बहुत ही आसानी से संपन्न हो जाता है। श्रीसंघ व चातुर्मास समिति ने विजय तिलक समारोह में जैन समाज के सभी मंडलों, ग्रुपों, संस्थाओं एवं मंडी कमेटी, नगर पालिका, पुलिस प्रशासन व जावरा नगर की शानदार जनता के साथ ही प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग करने वाले सभी सम्माननीय का हृदय से आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद दिया।
मुनिराज ने अपने उद्बोधन में कहा कि जिसने तप को पकड लिया है उसके लिए तप करना कठीन नहीं है तप कोई व्यवहार निभाने के लिए नहीं किया जाता । तप आत्मशुद्धि के लिए किया जाता है। जावरा के संघ ने आज तप की नई ईमारत खडी की। भौतिक सरोवर में रहने वाला हंस मोती रूपी चारा चुग सकता है। जिसे कोई देख नहीं सकता लेकिन आज उपस्थित लोगों का 240 सिद्धितप तपस्वियों का चारा चुगने जैसा अवसर देखने को मिला है। आयोजन की शुरूआत मंगला चरण से हुई आयोजन में सांसद सुधीर गुप्ता विधायक राजेन्द्र पाण्डेय नगर पालिका अध्यक्ष प्रतिनिधि युसूफ कडपा, उपाध्यक्ष सुशील कोचटटा, चन्द्र प्रकाश ओस्तवाल सहित श्री संघ के अशोक लुक्क्ड, धरमचंद चपडोद, पारस ओस्तवाल, अनिल चोपडा, प्रवीण नवकार, अभय चोपडा, राजेश बरमेचा, विनोद बरमेचा, बाबुलाल खेमसरा, अजय सकलेचा, कमल नाहटा, देवेन्द्र मूणत, फतेहलाल बूरड, अभय कांठेड, अरविंद जैन, संजय करनावट, महेन्द्र सेठिया, विजय संघवी, अंतिम कियावत, शैतानमल दुग्गड, महेन्द्र ओरा, वीरेन्द्र संचेती, भंवरलाल आंचलिया, लोकेन्द्र मेहता, सहित बाहर से पधारे लगभग 20 हजार अतिथि इस कार्यक्रम में उपस्थित थे । उक्त जानकारी मीडिया प्रभारी शिखर धारीवाल व वीरेन्द्र सेठिया ने दी।

झलकियां

  • प्रात: 8.30 बजे आरंभ वरघोड़ा निरंतर चलता ही रहा रास्ते में कहीं रोका नहीं गया । वरघोड़ा समिति संयोजक राहुल चपड़ोद, निश्चल पोखरना, मोहित चपड़ोद, सार्थक मेहता, पीयूष चपड़ोद, लोकेंद्र और संदीप श्रीपाल, टोनी नाहटा, एवं 80 सदस्यों की टीम ने पूरी ईमानदारी व जिम्मेदारी से वरघोड़ा निकालने का नेतृत्व किया। जैन समाज के सभी ग्रुप व मंडलों ने विशेष सहयोग देकर आयोजन को सफल बनाने में अपना सहयोग किया।
  • 240 सिद्धि तप आराध्य की पारण नगरी में 50 फीट ऊंचा डोम लगाकर बहुत ही सुंदर बनाया । आमंत्रित मेहमानों का श्री भरत चक्रवर्ती भोजनालय के 3 स्पेशल शेड में भोजन की शानदार व्यवस्था । धर्म की धारा बहेगी और आराधको के बहुमान व अतिथियों व मेहमानों हेतु लाजवाब भक्ति भवन बनाया गया। ऐसा भव्य वरघोड़ा कभी नहीं देखा पूरे जावरा नगर में जिधर देखो वरघोड़ा ही दिख रहा था । जिसका आरंभ छोर घंटाघर चौराहे पर था वहीं अंतिम छोर दादावाड़ी पर था। जावरा की शानदार जनता के लिए खुली आंखों से स्वप्न देखने जैसा लग रहा था। जिसने देखा, देखा ही रह गया जगह-जगह तोरण द्वार व फ्लेक्स से जावरा नगर दुल्हन की तरह सजा हुआ था । नगर की जनता व अनेकों संस्थाओं ने वरघोड़े का अलग-अलग जगह शानदार स्वागत किया और मुनिश्री को वंदन कर आशीर्वाद लिया।