कवियों ने अपनी रचनाओं से खुब दाद बटौरी
रतलाम 13 सितम्बर । नगर निगम द्वारा 11 से 13 सितम्बर तक रामगढ़ में आयोजित तीन दिवसीय तेजाजी मेले के दूसरे दिन निगम रंगमंच पर आयोजित कवि सम्मेलन में कवियों ने अपनी कविताओं का पाठ कर श्रोताओं को देर रात तक रोके रखकर खुब दाद बटौरी।
मांडवगढ़ से आये कवि धीरज शर्मा ने अपनी कविता में कुछ यूं कहा –
संस्कार का कोई स्कूल नहीं होता कोई ट्यूशन कोई कोचिंग नहीं होती
व्यर्थ में संस्कारों को ढूंढने की कोशिश तो करता है
हर संस्कारों का विश्वविद्यालय होता है
कन्नौद से आई कवियत्री प्रिया खुशबु ने अपने कविता पाठ करते हुए कहा –
आ गई है घड़ी अब तो परिणाम की।
लाज रखनी है तुमको मेरे नाम की।
कह दिया यह दशानन ने पाषाण से
तैरना होगा तुमको कसम राम की।
मुम्बई महाराष्ट्र से आये कवि दुर्गेश दुबे ने अपनी कविता में कुछ यूं कहा –
जंगली हो गए अब समाजी नहीं।
हारना चाहते कोई बाज़ी नहीं।
भाई तो चाहते है सभी राम सा,
पर भरत बनने को कोई राजी नहीं।
राजस्थान नाथद्वारा से आये कवि कानू पंडित ने अपने कविता पाठ में कहा कि –
बरगद नीम और अम्बुआ की छांव जरूरी है
इसीलिए इस हिन्दुस्तान में गांव ज़रूरी है।
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनउ से कमल आग्नेय ने अपनी कविता में कहा कि-
चन्द्रयान से आगे बढ़ अब सूर्ययान का भारत है।
सबसे आँख मिलाने वाला स्वाभिमान का भारत है।
विश्वगुरू की शरण में सबको आना ही होगा क्योंकि,
समस्याओं की दुनिया है,पर समाधान का भारत है।
हास्य रस के रतलाम के कवि धमचक मुल्थानी ने कविता पाठ करते हुए कहा कि –
मैने बस कंडक्टर से कहा
यह खटारा कब जाएगा
वह थोड़ी देर सोच कर बोला
जब कचरा भर जाएगा!
रतलाम के कवि जुझारसिंह भाटी ने अपना कविता पाठ करते हुए कहा कि –
पत्थर प्रतिष्ठा लगा देते हैं लोग,
कुछ पूजते है कुछ ठोकर लगा देते हैं लोग,
इंसान इंसान के दर्द को समझता नही,
पत्थर के आगे गिड़गिड़ाते है लोग
प्रारंभ में आमंत्रित कवियों का स्वागत महापौर प्रहलाद पटेल, वरिश्ठ भाजपा नेता कन्हैयालाल मौर्य, बाजार समिति प्रभारी श्री धर्मेन्द्र व्यास, महापौर परिषद सदस्य एवं क्षेत्रिय पार्षद अक्षय संघवी, क्षेत्रिय पार्षद श्रीमती प्रीति कसेरा, पार्षद परमानन्द योगी, रणजीत टांक, योगेश पापटवाल, पार्शद प्रतिनिधि संजय कसेरा, गौरव त्रिपाठी आदि ने पुष्पहार व पुष्प गुच्छ से किया।