हर्षोल्लास से मनाई गीता मंदिर पर इंदिरा एकादशी

रतलाम। इंदिरा एकादशी पर निरंतर एकादशी संकीर्तन 56 वां का आयोजन गीता मंदिर पर रखा गया। इंदिरा एकादशी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है, जो विशेष रूप से पितरों की आत्मा की शांति और मुक्ति के लिए किया जाता है। यह व्रत पितृ पक्ष के दौरान आता है, जो अमावस्या से पहले का समय होता है, और यह अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। पितरों की मोक्ष प्राप्ति: इस दिन व्रत करने और भगवान विष्णु की पूजा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और वे मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं। पुण्य का संचार: इस दिन व्रत करने से व्यक्ति को अपने जीवन में किए गए पापों से मुक्ति मिलती है और पुण्य की प्राप्ति होती है। भविष्य में समृद्धि: माना जाता है कि इंदिरा एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को न केवल इस जीवन में बल्कि अगले जन्मों में भी सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।पारिवारिक शांति: इस दिन का व्रत पारिवारिक कल्याण और समृद्धि के लिए भी किया जाता है। इसे करने से परिवार में शांति और समृद्धि बनी रहती है।इस दिन व्रत रखने वाले लोग प्रात:काल स्नान कर भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और दिनभर उपवास रखते हैं। रात को जागरण और विष्णु भजन का भी विशेष महत्व है।
एकादशी संकीर्तन में पंडित गोपाल कृष्ण शर्मा ने अपने सुमधुर कंठ से भजन किये। जिनकी नैया संभाले कन्हैया उनको डर ना भंवर का। एक उसकी ही मंजिल सही है,जो पथिक है प्रभु की डगर का। गम की आंधी उसे क्या उड़ाये जो प्रभु मौज में झूमता है ढूंढता जो सदा सांवरे को संवरो खुद उसे ढूंढता है… जैसे भजनों पर महिलाओं ने खूब नृत्य किया। यह आयोजन वीरेंद्र वाफगावकर परिवार रतलाम के द्वारा आयोजित किया गया। जिसमें गीता मंदिर ट्रस्ट के संजय व्यास, दीपक पुरोहित, हरीश रतनावत, सुनील सराफ, सुनील पुरंदरै,संध्या सराफ, सीमा वाफगावकर व महिला मंडल एवं भक्तजन बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। श्रीमन् नारायण नारायण धुन करते हुए सभी ने तालियां बजाई और अंत में आरती संपन्न कर प्रसादी वितरण की गई तथा 13 अक्टूबर 24 रविवार को पापांकुशा एकादशी पर भजन कीर्तन किए जाएंगे तथा समय 3 बजे से 6 बजे तक का रहेगा।

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