झुमरीतिलैया । झारखण्ड की हृदय स्थली धर्म नगरी झुमरीतिलैया में चल रहे विश्व शांति महायज्ञ सिद्धचक्र महामण्डल विधान के अंतर्गत आज पांचवा दिन श्री सिद्ध चक्र महामंडल विधान एवं विश्व शांति महायज्ञ के साथ नया मंदिर जी मे नय द्वार के चालू होने के पूर्व 1008 श्री महावीर विधान एवं वास्तु शास्त्र विधान की पूजा की गई सोमवार को जैन संत मुनि श्री 108 सुयश सागर महाराज के सानिध्य में सिद्धों की आराधना एवं पूजा स्थल मंडल पर जयकारों के बीच मंत्रोच्चार के साथ 512 अर्ध्य समर्पित किए गए। प्रातः कालीन अभिषेक, ओम प्रकाश वीर सेठी के परिवार द्वारा शांतिधारा, नित्य नियम पूजन सुर समार्ट सुबोध,आशा गंगवाल,शशि शब्द,करिश्मा छाबड़ा के साथ संगीत मय पूजन हुवा ।
इसी के साथ गुरुवर का चरण पखारने का सौभाग्य इस इंद्र परिवार को प्राप्त हुआ मुनि श्री ने सभी को विशेष आशीर्वाद दिया।इसके बाद विधान प्रारंभ हुआ। इस मौके पर आयोजित धर्म सभा में मुनि 108 सुयश सागर ने कहा कि सिद्ध चक्र महामंडल विधान सब विधानो का राजा है। विधान में सभी रिद्धि धारी महा मुनिराजो की वंदना की गई है, वर्तमान में मुनियों के के पास ऋद्धि का अभाव है, मुनिराजो को ऋद्धियां तप,आराधना, संयम आदि से प्राप्त होती है, जिनकी आराधना वंदना करने से सभी प्रकार के कष्टों का निवारण सम्भव है।साथ ही गुरु मुख से सिद्ध चक्र महामंडल विधान की महिमा बताई गई। नव द्वार के पुण्याजक प्रदीप-मीरा छाबड़ा ने बताया की पूज्य मुनि श्री 108 सुयश सागर जी मुनिराज के मंगल आशीर्वाद से नया मंदिर जी मे उत्तर की ओर एक नया द्वार का शिलान्यास कर्ता प्रदीप-मीरा छाबड़ा है। इस अवसर पर छाबड़ा जी ने बताया कि ये मेरा परम सौभाग्य है कि गुरु के मंगल आशीर्वाद से हमारे परिवार को मंदिर के नया द्वार बनाने का अवसर मिला ।ये सभी कार्यक्रम स्थानीय पंडित अभिषेक शास्त्री के द्वारा विधि विधान के द्वारा सम्पन्न होगा। जैन समाज के मीडिया प्रभारी नवीन जैन और राजकुमार अजमेरा ने बताया कि रात्रि में कैलास-कमला गंगवाल,ओर मैत्री समूह मनीष, नवीन, अजय, संजय, संदीप, अनूप, ललित राज कुमार अजमेरा के द्वारा भब्य आरती झूमते हुवे किया गया । इसके पश्चात गुरुमुख से णमोकार चालीसा ओर सिद्ध चक्र विधान की महिमा को बताया गया ।