जावरा (अभय सुराणा) । पापों से बचे हमारी आत्मा में भी पाप रूपी दाग नहीं लग जाए पाप को पाप माने पाप में समता रखें हंसते-हंसते कर्मों का बंध कर लेता है नए कर्मों का बंध भी हो जाता है पुण्य क्षीण हो जाते हैं तब कितने कष्ट झेलने पड़ते हैं जेसे कर्म करेंगे उसका फल अवश्य ही मिलता है किए कर्मों को भोगे छुटकारा मिलने वाला नहीं है ज्ञानी भंगवत बताते हैं काया छूट जाती है लेकिन आत्मा पर कर्म चिपके रहते हैं हमें पापों से दूर रहना होगा ।
उपरोक्त प्रेरक विचार जैन दिवाकर भवन पर जिन शासन गौरव पूज्य गुरुवर श्री उमेश मुनि जी महारा साहब “अणू” की आज्ञान्यूवर्तनी पूज्य महासती श्री संयम प्रभा जी मा. सा.ने कहे आगे उन्होंने कहा कि मोक्ष में जाने में कितना समय लगेगा कुछ जीवो को संसार में आनंद आ रहा है उनमें मोक्ष में जाने की इच्छा जागे तो समयत्तव प्राप्त कर लेता है धर्म का फल क्या है जो जगता है वह पता है जो सोता है वह होता है ।
तीर्थंकर भगवान की वाणी हमको समय-समय पर जगा रही है पूज्य गुरुदेव फरमाते थे संसार में पांच लुटेरे बताए हैं पहला काल जो हमारी उमर को लूट रहा है दूसरा बुढ़ापा जो हमारी जवानी को लूट रहा है तीसरा रोग जो हमारे स्वास्थ्य को लूट रहा है चौथा भाग्य जो हमारे पुण्य को लूट रहा है और और पांचवा भीतर के विकार ज्ञान ,दर्शन, चरित्र की आराधना नहीं होने देते जो भाव से जागता है वही सुख पाता है आनंद परोपकार और सेवा में मिलता है जिंदगी छोटी है उसका महत्व हमको जानना है ।
पूज्य महासती जी से पूरे श्री सघं ने 2 दिन और रुकने की विनती रखी जिसे उन्होंने स्वीकार किया और पूज्य मा.सा. के प्रवचन दो दिन और दिवाकर भवन पर होंगे कार्यक्रम का संचालन महामंत्री महावीर छाजेड़ ने किया उपरोक्त जानकारी सुभाष टुकड़िया ने दी ।