गिरनारजी (डाॅ. महेन्द्रकुमार जैन ‘मनुज’)। आचार्य श्री शांतिसागर छाणी परम्परा के पट्टाचार्य श्री निर्मलसागर जी महाराज की समाधि के उपरान्त उनके अनन्य शिष्य आचार्य श्री निर्भयसागरजी मुनिराज को सर्वसम्मति से उनका पट्टाचार्य बनाया गया है। निर्मलध्यान केन्द्र के ट्रस्टियों ने विगत सप्ताह एक मीटिंग कर निर्मल ध्यान केन्द्र गिरनार से जुड़े अधिकांश विशिष्ट महानुभावों की उपस्थिति में सर्व सम्मति से निम्नांकित निर्णय लिया- आचार्य निर्मलसागर जी का पट्टाचार्य आचार्य श्री निर्भय सागर जी महाराज को, निर्मल ध्यान केन्द्र सिद्ध क्षेत्र का पट्टाधीश क्षुल्लक जी श्री समर्पणसागर जी महाराज को, अधिष्ठाता ब्रह्मचारी श्री सुमत भैया जी को और परम संरक्षणी ब्रह्मचारिणी शांता बहिन को बनाया गया।
ज्ञातव्य है कि 17 नवम्बर 2020 को गिरनार गौरव आचार्य श्री निर्मलसागर जी महाराज की समाधि हो गई थी। उन्होंने अपने जीवनकाल में किसी शिष्य को पट्टाचार्य पद नहीं दिया था, इस कारण निर्मल ध्यान केन्द्र से जुड़े सभी वरिष्ठ महानुभावों और ट्रस्टियों ने सर्व सम्मति से यह निर्णय लिया है। ब्रह्मचारी सुमत भैया ने श्री दि.जैन विद्वत्परिषद् के महामंत्री डाॅ. महेन्द्रकुमार जैन ‘मनुज’ को बताया कि उपरोक्त निर्णय की अधिकृत सूचना ट्रस्ट के अध्यक्ष सौभागमल कटारिया ने जारी की है। समाधिस्थ गिरनारगौरव आचार्य श्री निर्मलसागर जी महाराज का विद्वत्परिषद् को आशीर्वाद और स्नेह था। आचार्यश्री के सान्निध्य में निर्मलध्यान केन्द्र में विद्वत्परिषद् के अलग अलग वर्षों में दो अधिवेशन और संगोष्ठियां भी हुई हैं।