किसी को हीन मानना और अपने आप को श्रेष्ठ सिद्ध करने का प्रयास करना बुद्धि का दिवालियापन है – राष्ट्रसंत कमलमुनि कमलेश

बाड़मेर । किसी को हीन मानना और अपने आप को श्रेष्ठ सिद्ध करने का प्रयास करना बुद्धि का दिवालियापन है उक्त विचार राष्ट्र संत कमलमुनि कमलेश ने बाड़मेर जिले में सिमर किया ग्राम पंचायत में संबोधित करते कहा कि धन रूप पद बाहरी वस्तुओं से किसी का मूल्यांकन करना उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति का मापदंड उसके चरित्र गुण के आधार पर होना चाहिए तभी सही मूल्यांकन होगा ।
मुनि कमलेश ने कहा कि वह और विलासिता के साधनों का अंबार देखकर उसे बड़ा मानना महापुरुषों के सिद्धांतों के साथ खिलवाड़ करने के समान है । राष्ट्रसंत ने कहा कि जिसमें जितना बड़ा त्याग है उतना ही वह महान है निस्वार्थ भाव से परमार्थ के लिए तत्पर रहने वाला पूजनीय बनता है । जैन संत ने स्पष्ट कहा कि त्याग व्यक्ति का सच्चा सिंगार है सादा जीवन उच्च विचार उसकी सच्ची पहचान है कांग्रेस के कार्यकर्ता शीतल सिंह जी राजपुरोहित ने अपनी प्रतिनिधिमंडल के साथ उपस्थित होकर आत्मीय स्वागत किया । घनश्याम मुनिजी म.सा. आशीर्वाद प्रदान किया 27 दिसंबर तक बालोतरा पहुंचने की संभावना है ।